जिला अस्पताल में एक यात्री ने बताया कि करीब नौ बजे जब वह भीड़ से निकलकर मंदिर के करीब पहुंचे, तभी ऊपर मंदिर की तरफ से आ रहे कुछ लोगों ने उन्हें नीचे की ओर जाने को कहा। भीड़ इस कदर थी कि पीछे जाना संभव नहीं हो पा रहा था।
सीढ़ियों पर चढ़ने और उतरने वालों की भीड़ अनियंत्रित होने की वजह से यह हादसा हुआ। यदि ऊपर निकल गये लोगों को वापस न दौड़ाया जाता तो इस घटना की गंभीरता से बचा जा सकता था।
यात्री ने बताया कि धक्का-मुक्की में मैं पैदल मार्ग के किनारे बनी दुकान की बेंच के नीचे दब गया। जबकि मेरी आंखों के सामने ही चार लोगों की मौत हो गई। जैसे-तैसे हम सभी पैदल ही नीचे उतरे। मेन रोड पर खड़ी एंबुलेंस हमें मेला अस्पताल लेकर पहुंची।
राजकीय मेला अस्पताल में भर्ती बंगाल के वर्धमान जिले के अंडाल निवासी विनोद दास बताया कि वह बद्दी हिमाचल प्रदेश में माइक्रोटेक कंपनी में काम करते हैं। रविवार सुबह गंगा स्नान कर मां मनसा देवी के दर्शन को पहुंचे थे। पैदल मार्ग पर नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे आने वालों की जबरदस्त भीड़ थी। इस बीच ऊपर मंदिर की तरफ से कुछ युवक जो शायद सेवादार थे, डंडे लेकर भीड़ को धकेलने लगे। इससे भगदड़ मची तो उनकी बेटी गुंजन दास और पत्नी रीना देवी गिर पड़े। भीड़ में कुचलने से पत्नी का पेट दब गया। पैर में भी चोट लगी है। जैसे-तैसे दोनों को लेकर एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचे। हालांकि इन यात्रियों की स्थिति खतरे से बाहर हैं, लेकिन यात्रियों के बयान मंदिर प्रबंधन को सवालों में खड़े कर रहे हैं।
आखिर मंदिर की तरफ से हाथों में डंडे लेकर आए यह लोग कौन थे। क्या यह मंदिर के कर्मचारी थे, जिन्होंने सीढ़ियों पर भीड़ के बावजूद यात्रियों को पीछे खदेड़ा। यात्रियों की बात में कितनी सच्चाई है, इसका पता लगाना मुश्किल भी नहीं, क्योंकि पूरा मंशा देवी मंदिर क्षेत्र सीसीटीवी से आच्छादित है। इसलिए दुर्घटना से चंद सैकेंड पहले की इस घटना की जैसा प्रत्यक्षदर्शी बता रहे हैं जांच का अहम हिस्सा बनाया जाना चाहिए।