हमें अपनी मातृभाषा हिन्दी को अधिक महत्व देना होगा : प्रो.संगीता श्रीवास्तव

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हमें अपनी मातृभाषा हिन्दी को अधिक महत्व देना होगा : प्रो.संगीता श्रीवास्तव

–इविवि के राजभाषा अनुभाग की ओर से पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारम्भ

प्रयागराज, 02 जुलाई (हि.स.)। हिन्दी हमारी मातृभाषा है। निज भाषा में ही सबसे बेहतर तरीके से अभिव्यक्ति हो सकती है। हिन्दी हमारी मां है, इसे प्यार करें, अपनी मातृभाषा से प्यार करें। जब हम स्वयं हिन्दी को महत्व देंगे तभी दूसरे भी इसके महत्व को समझेंगे। हमें अपनी मातृभाषा को अधिक से अधिक महत्व देना होगा।

यह बातें इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्त ने बुधवार को इविवि के राजभाषा अनुभाग की ओर से आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में सम्बोधित करते हुए कही। कुलपति ने कर्मचारियों को हिन्दी में कार्यालयी कार्य करने के लिए प्रेरित किया। कहा कि सभी देशों ने अपनी मातृभाषा को समृद्ध बनाया है। भारत की हिन्दी भाषा तो सदैव से समृद्ध रही है।

उन्होंने भारत के गौरवशाली ज्ञान परम्परा का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि गुलामी के दौर में हिन्दी को कम महत्व दिया गया, इसके बाद कान्वेंट कल्चर ने हिन्दी को पीछे धकेल दिया। हमें प्रतिदिन के कार्यों में हिन्दी का प्रयोग करके हिन्दी को सिरमौर बनाना है।

इससे पूर्व राजभाषा अनुभाग के पदेन अध्यक्ष और कुलसचिव प्रो. आशीष खरे ने कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतेंदु हरिश्चंद्र के वक्तव्य ‘‘निज भाषा उन्नति अहे’’ के माध्यम से हिन्दी की उपयोगिता को बताया। उन्होंने कार्यालय के दैनिक कार्यों में हिन्दी के प्रयोग की आवश्यकता पर बल दिया। हिन्दी अनुभाग के संयोजक प्रो. कुमार वीरेंद्र ने मंच संचालन किया। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में संचार के नए उपक्रम और हिन्दी, कार्यालय हिन्दी और ई फाइलिंग एवं समर्थ पोर्टल प्रबंधन और हिन्दी, कार्यालयी अनुवाद, कार्यालय प्रबंधन एवं हिन्दी राजभाषा हिन्दी का मानकीकरण जैसे विषयों को शामिल किया गया है।

इविवि की पीआरओ डॉ जया कपूर ने बताया कि कार्यक्रम में इविवि के हिन्दी अधिकारी प्रवीण श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान करीब 45 प्रतिभागी कार्यशाला में प्रतिभाग कर रहे हैं। उद्घाटन सत्र में सभी संकायों के अध्यक्ष आदि मौजूद रहे।

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