लाखों लोगों को जेल, प्रेस की बिजली गुल, न्यायपालिका के अधिकार छीने, जबरन नसबंदी, आपातकाल के जख्म आज भी जिंदा : अरुण साव

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लाखों लोगों को जेल, प्रेस की बिजली गुल, न्यायपालिका के अधिकार छीने, जबरन नसबंदी, आपातकाल के जख्म आज भी जिंदा : अरुण साव

रायपुर, 25 जून (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा है कि कांग्रेस ने 25 जून, 1975 को देश पर आपातकाल थोपकर लोकतंत्र के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात किया लेकिन आज भी वह अपने किए के लिए न तो माफी मांगती है और न ही पछतावा प्रकट करती है। आज ‘संविधान बचाओ का नारा देने वाली कांग्रेस वही पार्टी है जिसने संविधान को सबसे पहले और सबसे गहराई से रौंदा था। साव ने कहा कि आपातकाल की घोषणा कोई राष्ट्रीय संकट का नतीजा नहीं थी, बल्कि यह एक डरी हुई प्रधानमंत्री की सत्ता बचाने की रणनीति थी, जिसे न्यायपालिका से मिली चुनौती से बौखलाकर थोपा गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘आंतरिक अशांति’ की आड़ लेकर अनुच्छेद 352 का दुरुपयोग किया, जबकि न उस समय कोई युद्ध की स्थिति थी, न विद्रोह और न ही कोई बाहरी आक्रमण हुआ था।

प्रदेश के उप मुख्यमंत्री साव ने बुधवार को यहाँ एकात्म परिसर स्थित भाजपा कार्यालय में आहूत पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस ने आपातकाल काले अध्याय में न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं को रौंदा, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता, न्यायपालिका की निष्पक्षता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचलकर यह स्पष्ट कर दिया कि जब-जब उनकी सत्ता संकट में होती है, वे संविधान और देश की आत्मा को ताक पर रखने से पीछे नहीं हटते। आज 50 वर्ष बाद भी कांग्रेस उसी मानसिकता के साथ चल रही है, आज भी सिर्फ तरीकों का बदलाव हुआ है, नीयत आज भी वैसी ही तानाशाही वाली है। सन 1971 से 1974 और फिर 1975 के राजनीतिक हालात, अस्थिरता, महंगाई, खाद्यान्न संकट, आर्थिक बदहाली और भ्रष्टाचार के दौर को याद दिलाते हुए साव ने कहा कि तब गुजरात और बिहार में छात्रों के नेतृत्व में नव निर्माण आंदोलन खड़ा हो चुका था। 8 मई 1974 को जॉर्ज फर्नाडिस के नेतृत्व में ऐतिहासिक रेल हड़ताल ने पूरे देश को जकड़ लिया। इस आंदोलन को रोकने के लिए 1974 में गुजरात में इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति शासन लगा दिया। यही राष्ट्रपति शासन 1975 में लगने वाले आपातकाल की एक शुरुआत था।

प्रदेश के उप मुख्यमंत्री साव ने कहा कि तत्कालीन इंदिरा-सरकार ने कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका सहित लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को बंधक बनाकर सत्ता के आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। साव ने कहा कि मीसा जैसे काले कानूनों के जरिए एक लाख से अधिक नागरिकों को बिना किसी मुकदमे के जेलों में ठूँस दिया गया, जिनमें लोकनायक जयप्रकाश नारायण, अटलबिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और राजनाथ सिंह सहित तमाम वरिष्ठ विपक्षी नेता तो शामिल थे ही, छात्रों तक को जेल में सड़ने पर मजबूर कर दिया गया था। विधान में संशोधन कर ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ जैसे शब्द जोड़े गए, ताकि कांग्रेस अपने वैचारिक एजेंडे को राष्ट्र पर थोप सके। इसके अलावा 38वें संशोधन के तहत आपातकाल की घोषणा को न्यायपालिका की जांच से बाहर कर दिया, इन मनमाने संशोधनों के जरिए इंदिरा गांधी ने सीधे-सीधे तानाशाही के लिए रास्ता खोल दिया था।

प्रदेश के उप मुख्यमंत्री साव ने कहा कि कांग्रेस शासन में लोकतंत्र का ऐसा पतन हुआ कि जेलों में बंद लोगों को अपने परिजनों के अंतिम संस्कार में शामिल होने तक की अनुमति नहीं दी गई और इन लोगों में वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तक शामिल थे। उन्होंने खुद खुलासा किया है कि उन्हें उनकी माताजी की अंत्येष्टि में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई। इसके अलावा विरोधियों को जेलों में मानसिक और शारीरिक यातनाएं दी गईं।महिला कैदियों के साथ भी अमानवीय व्यवहार हुआ, उन्हें न तो समुचित चिकित्सा दी गई, न ही उनके साथ सम्मानपूर्ण व्यवहार किया गया।

प्रदेश के उप मुख्यमंत्री साव ने कहा कि आपातकाल लगाने का कोई संवैधानिक औचित्य नहीं था और यह सिर्फ इंदिरा गांधी का व्यक्तिगत राजनीतिक षड्यंत्र था। 1980 में दोबारा कांग्रेस सरकार बनने पर इंदिरा गांधी शाह आयोग की रिपोर्ट को भी नष्ट करवा दिया था। साव ने कटाक्ष किया कि गरीबों के लिए सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने का नाटक रच रहे राहुल गांधी यह कैसे भूल जाते हैं कि उनकी दादी इंदिरा गांधी ने दिल्ली के तुर्कमान गेट पर अपने घरों को बचाने के लिए गुहार लगाने वाले गरीबों पर गोलियाँ चलवाई थी। क्या कांग्रेस इस तरह गरीबी हटाओ के नारे को चरितार्थ कर रही थी?

प्रदेश के उप मुख्यमंत्री साव ने कहा कि आज 50 साल के बाद संविधान और लोकतंत्र के इतिहास के इस काले अध्याय से देश को और खासकर देश की नई पीढ़ी को अवगत कराने भारतीय जनता पार्टी 25 जून को “संविधान हत्या दिवस” के रूप में मना रही है ताकि लोकतंत्र और संविधान की दुहाई देकर राजनीतिक ढोंग कर रही कांग्रेस का असली चरित्र देश-प्रदेश के सामने आ सके। प्रदेश में हमने पूर्ववर्ती शासनकाल में आपातकाल के दौरान मीसाबंदी के तौर पर अमानवीय यंत्रणा सहने वाले लोकतंत्र के सेनानियों/उनके परिजनों को सम्मान निधि देने की योजना शुरू की थी लेकिन कांग्रेस की भूपेश सरकार ने आपातकाल वाली कांग्रेसी मानसिकता का परिचय देकर इसे बंद कर दिया था। तब न्यायालय ने भूपेश सरकार के इस फैसले गलत ठहराया था। साव ने कहा कि साय सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों की सम्मान निधि को पुन: लागू किया है।

पत्रकार वार्ता में रायपुर जिला शहर जिलाध्यक्ष श्री रमेश ठाकुर ,प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी, प्रदेश मीडिया सह-प्रभारी अनुराग अग्रवाल, प्रदेश प्रवक्ता उमेश घोरमोड़े, और मीडिया पैनलिस्ट निशिकांत पाण्डेय भी उपस्थित थे।