उत्तर प्रदेश की एसटीएफ ने हापुड़ जिले के मोनाड यूनिवर्सिटी में चल रही fर्जी डिग्री की धांधली का भंडाफोड़ किया है। 17 मई को की गई छापेमारी में विश्वविद्यालय के चांसलर, विजेंद्र हुड्डा और उनके साथ 10 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस कार्रवाई के दौरान एसटीएफ ने 1300 से अधिक फर्जी मार्कशीट और डिग्रियां बरामद की हैं। जांच में यह जानकारी सामने आई है कि हरियाणा के पलवल में इन फर्जी दस्तावेजों का निर्माण हो रहा था और हर मार्कशीट या डिग्री के लिए 5000 रुपए की रकम ली जाती थी। इसके बदले विश्वविद्यालय कथित तौर पर छात्रों से 50 हजार से लेकर 4 लाख रुपये तक की राशि वसूलता था।
गिरफ्तार किए गए विजेंद्र हुड्डा की पृष्ठभूमि भी काफी दिलचस्प है। एक हलफनामे के अनुसार, वह मेरठ के शिवलोकपुरी का निवासी है, लेकिन पुलिस की FIR में उसका पता सिल्वरपुरी के रूप में दिया गया है। जैसे ही STF ने छापेमारी शुरू की, जांच का दायरा तेजी से बढ़ता गया। हुड्डा का राजनीतिक कनेक्शन भी है, उसने 2024 के लोक सभा चुनाव से पहले लोकदल पार्टी में शामिल होने के बाद बसपा से बिजनौर सीट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा। इस बीच, हुड्डा पर यूपी पुलिस ने बाइक बोट घोटाले के मामले में 5 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।
बाइक बोट घोटाले का मामला भी कमतर नहीं है। संजय भाटी नामक एक व्यापारी ने 2010 में अपनी कंपनी खोली थी, जो बाइक टैक्सी सेवा शुरू करने का दावा कर रही थी। लेकिन एक साल बाद वह अपने निवेशकों को जमा किया गया पैसा लौटाने में असफल रहा, जिसके कारण कई राज्यों में उसके खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए। जांच एजेंसियों ने इस मामले में विजेंद्र हुड्डा को भी आरोपी ठहराया है।
अब, एसटीएफ ने जहाँ एक ओर फर्जी डिग्री घोटाले की गहराई का पता लगाया है, वहीं दूसरी ओर उन्हें यह भी संदेह है कि जिन लोगों ने ये फर्जी डिग्रियां ली थीं, वे कहीं नौकरी कर रहे हों। इस दिशा में जानकारी हासिल करने के लिए लखनऊ में सर्वर की जांच की जाएगी। एसटीएफ के एक अधिकारी ने कहा कि फर्जी डिग्रियों का डेटा सर्वर रूम में रिकॉर्ड किया गया था, जिसे कब्जे में लिया गया है और इसकी विस्तृत जांच की जाएगी।
मोनाड यूनिवर्सिटी में पिछले 15 वर्षों में चल रहे इस घोटाले से जुड़े कई पहलुओं पर विचार किया जा रहा है और भय है कि इस मामले में और भी लोग शामिल हो सकते हैं। यह पूरी घटना न केवल शिक्षा प्रणाली के लिए एक बड़ा धब्बा है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस प्रकार से धन और सत्ताधारियों का संयोग लोगों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। अब देखना यह है कि एसटीएफ की जांच इस मामले में और क्या साक्ष्य उजागर करेगी और आगे के कदम क्या होंगे।