पत्रकारिता जनहिंत में बहती नदी : गोविंद पांडे
हल्द्वानी, 30 मई (हि.स.)। आज उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं मीडिया स्टडीज विभाग द्वारा हिंदी पत्रकारिता दिवस का आयोजन किया गया। हिंदी के पहले अखबार उदंत मार्तड की याद में इस दिवस को मनाया जाता है। दीप प्रज्ववलन व कुलगीत के साथ कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ड़ा. राकेश चन्द्र रयाल ने उदंत मार्तंड व पंडित जुगल किशोर शुक्ल के बारे में बताया और उस दौर की पत्रकारिता पर विस्तार से बात रखी।
उन्होंने कहा कि भारत में हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत स्वतंत्रता संग्राम को लेकर भारतीयों में जनचेतना का विकास करने से हुई. राजा राम मोहन राय, गणेश शंकर विद्यार्थी समेत हिंदी पत्रकारिता को खड़ा करने वालों की एक लंबी फेहरिस्त है। आज पत्रकारिता नैरेटिव व एजेंडा सैटिंग में लगी है, उन्होंने हिंदी अखबारों में भाषाई विशुद्ता पर भी सवाल उठाए. संगोठी में डिजिटल मीडिया के दौर में हिंदी पत्रकारिता एक चिंतन विषय पर चर्चा हुई। संगोष्ठी में बोलते हुए बाबा भीमराव अंबेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. गोविंद पांडे ने कहा कि उदंत मार्तंड को प्रकाशित करके पंडित युगल किशोर शुक्ल ने हिंदी को मातृ भाषा से राष्ट्र भाषा के रूप में विकसित करने में बड़ी भूमिका अदा की। आज 4 लाख रूपये खर्च करके एक विद्यार्थी पत्रकारिता का कोर्स कर रहा है पत्रकारिता का जन्म प्रशिक्षण से नहीं हुआ इसीलिए इस प्रश्न को आज तक हम सुलझा नहीं पाएं है कि पत्रकारिता के लिए प्रशिक्षण की जरूरत है कि नहीं. पत्रकारिता शिक्षा को मानीटर करने की कोई संस्था नहीं है। आज व्यक्ति एमएसएमई में रिजिस्ट्रेशन कराके अपना पोर्टल शुरु कर रहा है। पहले पत्रकारिता का लीनियर मॉडल था जहां गेटकीपिंग हुआ करती थी आज डिजिटल मीडिया में ये गेटकीपिंग ये निगरानी खत्म हो गया है एक लहजे से तो यह फ्रीड्म ऑफ स्पीच के लिहाज से जरूरी है लेकिन अराजकता पैदा न हो इसीलिए एक हद तक नियंत्रण भी जरूरी है। पत्रकारिता जनहिंत में बहती नदी है।
इसके बाद हल्द्वानी शहर के दो वरिष्ठ पत्रकारों को सम्मानित किया गया। जिसमें 40 सालों तक जनसत्ता व तमाम अन्य माध्यमों के साथ जुड़े रहे प्रयाग पाण्डेय व जनपक्ष आजकल के संपादक गिरीश जोशी को सम्मानित किया गया। संगोष्ठी में बोलते हुए मुख्य अतिथि प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने कहा कि कुमांऊ में हिंदी पत्रकारिता की बहुत समृद्ध परंपरा रही है। कार्यक्रम में बोलते हुए संगोष्ठी के अध्यक्ष मानविकी विज्ञान विद्याशाखा के प्रोफेसर गिरिजा प्रसाद पांडे ने हिंदी पत्रकारिता के इतिहास को बताते हुए मानवता को ही हिंदी पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य बताया। सामाजिक विर्मश को पैदा करना पत्रकारिता का उद्देश्य है।
कार्यक्रम में विवि के कुलसचिव खेमराज भट्ट के.के. पांडे. प्रो. मंजरी अग्रवाल, प्रो. रेनू प्रकाश, प्रो. जितेन्द्र पांडे, प्रो. मदन मोहन जोशी, डा. शशांक शुक्ला, डा. घनश्याम जोशी, प्रो. आशुतोष भट्ट, डा. गौरी, डा. मनोज पांडे, डा. अखिलेश सिंह, विवि के शोधार्थी समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे।