यूपी में 42 जजों का तबादला: कानपुर देहात के जज का आखिरी फैसला बना चर्चा!

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार की शाम उत्तर प्रदेश के 42 जजों के तबादले किए हैं। इस प्रक्रिया के तहत कानपुर देहात के जिला जज जय प्रकाश तिवारी को वाराणसी भेजा गया है। अपनी नई पोस्टिंग से पहले, जज तिवारी ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए, चार साल से लंबित एक मामले में एक पति को उसकी पत्नी की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा दी। साथ ही, दोषी पर 10,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। वहीं, वाराणसी में ज्ञानवापी मामले के सात मुकदमों की सुनवाई कर रहे जिला जज संजीव पांडे को मेरठ स्थानांतरित किया गया है। उल्लेखनीय है कि संजीव पांडे पिछले एक वर्ष से वाराणसी में कार्यरत थे और पहले बागपत में जिला जज के पद पर थे।

इस फेरबदल में मेरठ के जिला जज रजत सिंह जैन को इटावा भेजा गया है। भदोही के जिला जज दुर्ग नारायण सिंह को अब संभल का जिला जज नियुक्त किया गया है, वहीं संभल की जिला जज कमलेश कुच्छल का तबादला झांसी किया गया है। हाल ही में, जज कुच्छल ने कोतवाली बहजोई क्षेत्र में हुए एक हत्या मामले में 4 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। यह विवाद 19 बीघा जमीन से जुड़ा था, जिसमें एक महिला को जिंदा जला दिया गया था।

रजत सिंह जैन का इटावा ट्रांसफर और संजीव पांडे का मेरठ में जाना एक महत्वपूर्ण बदलाव है, क्योंकि इनके द्वारा किए गए निर्णयों ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। जैन ने पूर्व सांसद के बेटे के खिलाफ दुष्कर्म मामले में सुनवाई करते हुए जमानत याचिका खारिज की थी और इसी क्रम में जिले में कई चर्चित मामलों पर फैसले सुनाए थे।

31 मार्च को, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुल 582 जजों के तबादले किए थे, जिसमें 236 अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश और 207 सिविल जज वरिष्ठ श्रेणी के न्यायिक अधिकारी शामिल थे। कानपुर से 13, अलीगढ़ से 11, और बरेली से 5 जजों का तबादला किया गया था। इस व्यापक ट्रांसफर के चलते न्यायिक सिस्टम में नई ऊर्जा का संचार होने की उम्मीद है। जज रवि कुमार दिवाकर का भी नाम इस सूची में शामिल रहा है, जिन्हें बरेली से चित्रकूट भेजा गया है; वे वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे की अगुवाई कर चुके हैं।

इन सभी ट्रांसफरों के पीछे मुख्य उद्देश्य न्यायिक सेवाओं में पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ाना है। जजों के स्थानांतरण के द्वारा अब न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक सटीकता से संचालित किया जा सकेगा और इससे आम जनता को उम्मीद है कि वे समय पर न्याय प्राप्त कर सकेंगे।

इस प्रकार, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जजों के मामले में सक्रियता दिखाते हुए अंतिम निर्णय लिया है और प्रदेश के न्यायिक तंत्र में सुधार लाने की दिशा में एक और कदम उठाया है।