डिजिटलीकरण और मीडिया पर सेमिनार: मीडिया विशेषज्ञों ने मीडिया के बदलते स्वरूप और चुनौतियों पर साझा किए विचार

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डिजिटलीकरण और मीडिया पर सेमिनार: मीडिया विशेषज्ञों ने मीडिया के बदलते स्वरूप और चुनौतियों पर साझा किए विचार

जयपुर, 31 मई (हि.स.)। महात्मा ज्योतिबा फुले यूनिवर्सिटी के मीडिया विभाग की ओर से मीडिया पर डिजिटलीकरण का प्रभाव नई प्रवृत्तियाँ और चुनौतियां विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन गुरुवार को कॉन्स्टिट्यूशनल क्लब ऑफ राजस्थान, जयपुर में किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि यूनिवर्सिटी के चेयरपर्सन निर्मल पंवार रहे। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग ने मीडिया की पहुँच और प्रभाव को अभूतपूर्व रूप से बढ़ाया है, लेकिन इसके साथ कई नई चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। ऐसे में भावी पत्रकारों को तकनीकी रूप से दक्ष और नैतिक रूप से सजग होना जरूरी है।

कार्यक्रम में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन के पूर्व महानिदेशक प्रो. डॉ. केजी सुरेश वर्चुअली रूप से जुड़े। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय डिजिटल मीडिया का है, जहाँ किसी भी सूचना तक पहुँच कुछ ही पलों की बात रह गई है। उन्होने कहा कि डिजिटल मीडिया का समाज और संस्कृति पर काफी व्यापक और जटिल प्रभाव पड़ा है। डिजिटल मीडिया की सर्वव्यापकता और समाज पर इसके प्रभाव बताते हैं कि हम सूचना युग हमारी इस पर निर्भरता बढती जा रही है।

जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के एकेजे मास कम्युनिकेशन सेंटर के पूर्व निदेशक प्रो. एफ.बी. खान ने डिजिटल युग में सूचनाओं की आसान उपलब्धता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अब जानकारी प्राप्त करना पहले की तुलना में कहीं अधिक सरल हो गया है।. खान, ने कहा कि पत्रकारिता में, डिजिटल मीडिया और नागरिक पत्रकारिता के कारण प्रिंट मीडिया में नौकरियाँ खत्म हो गई हैं लेकिन डिजिटल पत्रकारिता के उदय ने हजारों नई नौकरियाँ और विशेषज्ञताएँ भी पैदा की। वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही ने डिजिटल मीडिया के प्रसार के बावजूद प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता को प्रमुख बताया। उन्होंने कहा कि ष्डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर कोई भी व्यक्ति कुछ भी प्रसारित कर सकता है, जिससे विश्वसनीयता की चुनौती बढ़ जाती है।

लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार शक्ति सिंह ने कहा कि डिजिटल मीडिया की इस गुणवत्ता ने कई उद्योगों, विशेष रूप से पत्रकारिता, प्रकाशन, शिक्षा, मनोरंजन और संगीत व्यवसाय में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इन परिवर्तनों का समग्र प्रभाव इतना दूरगामी है कि इसे मापना मुश्किल है।

डीआईपीआर के उप निदेशक आशीष खंडेलवाल ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानि एआई के बढ़ते प्रभाव पर चर्चा करते हुए कहा कि यह युग न केवल डिजिटल, बल्कि एआई-आधारित भी होता जा रहा है। । एआई का सकारात्मक उपयोग जहाँ कार्यों को सरल बना रहा है, वहीं इसका दुरुपयोग भी गंभीर चिंता का विषय है।

संगोष्ठी में डिजिटल मीडिया की प्रमुख चुनौतियों, फेक न्यूज की समस्या, कंटेंट की प्रामाणिकता, सोशल मीडिया की भूमिका तथा पत्रकारिता के बदलते मानकों पर विस्तार से चर्चा हुई।

इस अवसर पर बड़ी संख्या में विद्यार्थी, शोधार्थी, मीडिया प्रोफेशनल्स और शिक्षाविद उपस्थित रहे। संगोष्ठी का उद्देश्य युवाओं को मीडिया की बदलती दिशा और भविष्य की संभावनाओं के प्रति जागरूक करना रहा। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। संगोष्ठी के दौरान विशेषज्ञों ने डिजिटल मीडिया की चुनौतियां, फेक न्यूज, कंटेंट की विश्वसनीयता, सोशल मीडिया की भूमिका और पत्रकारिता के बदलते मानकों पर अपने विचार साझा किए।कार्यक्रम में छात्रों, शोधार्थियों, मीडिया प्रोफेशनल्स और शिक्षकों की बड़ी भागीदारी रही। संगोष्ठी का उद्देश्य युवाओं को मीडिया की वर्तमान दिशा और आने वाले बदलावों के प्रति जागरूक करना रहा।

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