नवाजुद्दीन की राय: सस्ती टिकटें ही लाएंगी दर्शकों को सिनेमाघरों में!

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पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिला है, जहां थियेटर में फिल्में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही हैं। खास तौर पर बड़े सितारों की फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर उम्मीद के मुताबिक कमाई नहीं कर रही हैं। उदाहरण के लिए, सलमान खान की हालिया फिल्म “सिकंदर” को भी फ्लॉप का सामना करना पड़ा है। इस बदलाव का मुख्य कारण OTT (ओवर-द-टॉप) प्लेटफॉर्म माना जा रहा है, जो दर्शकों को फिल्मों का आनंद घर पर ही लेने का अवसर प्रदान कर रहा है। इसी संदर्भ में, नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपनी नई फिल्म “कोस्टाओ” के प्रमोशन के दौरान अपने विचार साझा किया।

नवाजुद्दीन और फिल्म के प्रोड्यूसर विनोद भानुशाली ने एक साक्षात्कार में इस प्रश्न का उत्तर दिया कि क्या थियेटर की जगह OTT ले रहा है। विनोद ने कहा कि थियेटर का अनुभव दुनिया के लिए अनोखा है और इसे पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता। लेकिन वास्तव में, टिकट की कीमतें एक बड़ी समस्या हैं। कम आय वाले लोग महंगे टिकट नहीं खरीद सकते हैं। यदि थियेटर में टिकटों की कीमतें कम हों, तो लोग इसे देखने के लिए वापस आएंगे। विनोद ने कहा कि बड़े शहरों में अच्छी कमाई करने वाले लोगों के लिए टिकट की कीमतें उचित हो सकती हैं, लेकिन हर जगह समान मूल्य नहीं होना चाहिए।

नवाजुद्दीन ने आगे कहा कि रियल लाइफ इंस्पिरेशनल स्टोरीज़ पर बायोपिक्स बनाना बेहद रोमांचक होता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जब आम लोग एक ऐसी कथा सुनते हैं, जिसमें ईमानदारी और साहस की कहानी होती है, तो यह उनके लिए प्रेरणादायक होती है। इस फिल्म को बड़े पर्दे की जगह OTT पर रिलीज करने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि इसका उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचना था। यह फिल्म 130 देशों में एक साथ रिलीज की गई है, जिससे दर्शक इसे आसानी से देख सकें।

कोस्टाओ सेट पर नवाजुद्दीन के अनुभव भी दिलचस्प रहे। विनोद ने बताया कि नवाज सेट पर अपनी फैमिली के साथ हास्य और मजाक भरा माहौल बनाते थे। एक खास सीन में नवाज और प्रिया बापट की लड़ाई को लेकर एक साहसिक पल आया, जब दोनों ने स्क्रिप्ट से बाहर जाकर अपने इमोशंस को दिखाया। इस पर नवाजुद्दीन ने कहा कि सीन के वास्तविकता में उनके भीतर के भावनाओं का योगदान था, जिससे वह सीन और भी जीवंत बन गया।

अंततः, भारतीय सिनेमा का थियेटर और OTT के बीच का यह संघर्ष दर्शाता है कि मनोरंजन की दुनिया में बदलाव आ रहा है। जहां एक ओर OTT प्लेटफॉर्म्स दर्शकों को फिल्मों का आनंद अपने घरों में ही देखने का मौका दे रहे हैं, वहीं थियेटर का जादू भी अभी खत्म नहीं हुआ है। इसके लिए कीमतों को उचित स्तर पर लाना आवश्यक होगा ताकि दर्शक फिर से थियेटर्स की ओर आकर्षित हो सकें।