सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्था से मरीज बेहाल: जांच के लिए घंटों इंतजार!

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उत्तरी भारत में गर्मी की वजह से लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बुखार, डायरिया और डिहाइड्रेशन के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। इस समय लखनऊ के सरकारी अस्पतालों की स्थिति निराशाजनक है, जिससे मरीजों को इलाज के लिए गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। लखनऊ के अस्पतालों में आउट पेशेंट विभाग (OPD) से लेकर इमरजेंसी सेवा तक भारी रश है। इस भीड़भाड़ के कारण गंभीर रोगियों को इलाज में और भी अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि अस्पताल प्रशासन अपनी व्यवस्थाओं को सही बताने पर अड़ा हुआ है। दैनिक भास्कर ने लखनऊ के सरकारी अस्पतालों की स्थिति को बारीकी से जॉज़ किया है, जिससे मरीजों और उनके तीमारदारों की समस्याओं को स्पष्ट रूप से सामने लाया गया है।

लखनऊ के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में हर दिन लगभग 3000 मरीज इलाज के लिए आते हैं। इनमें OPD और इमरजेंसी के मरीज शामिल हैं। अस्पताल में केवल चार फिजिशियन डॉक्टर नियुक्त हैं और उनमें से आधे डॉक्टर VVIP ड्यूटी पर हैं। ऐसे में OPD के मरीजों के इलाज के लिए केवल एक डॉक्टर की उपलब्धता है, जिससे लंबी कतारें लगती हैं। मरीजों की अधिकता के चलते डॉक्टर भी जल्दी-जल्दी पर्चा और जांच लिखकर मरीजों को भेज देते हैं। उदाहरण के लिए, हुसैनगंज की दीपा कुमारी अपनी बीमार बेटी रिया के लिए घंटों इंतजार करने के बाद किसी तरह डॉक्टर से मिल पाईं। उनका अनुभव दर्शाता है कि अस्पतालों में व्यवस्था कितनी खराब है।

बलरामपुर अस्पताल में भी स्थिति कमोबेश समान है। यहां इस सप्ताह के पहले दिन OPD में 10,469 मरीज पहुंचे, जिनमें से 6,852 नए पंजीकरण थे। इलाज के लिए आने वाले मरीजों को लंबी कतारों का सामना करना पड़ता है, जहां डॉक्टरों के पास मरीजों को देखने का समय तक नहीं होता। आजमगढ़ के सचिन ने बताया कि उन्होंने त्वचा रोग विशेषज्ञ को दिखाने के लिए लंबा इंतजार किया, केवल 21 सेकंड में डॉक्टर ने उन्हें लौटाकर वापस आने को कह दिया। डॉ. दिनेश कुमार का कहना है कि डायरिया और डिहाइड्रेशन के मरीजों की संख्या बढ़ी है, लेकिन यह कोई गंभीर समस्या नहीं है, क्योंकि ज्यादातर मरीज दवा से ठीक हो जाते हैं।

राज नारायण लोकबंधु संयुक्त अस्पताल में भी दो फिजिशियन VVIP ड्यूटी पर हैं। यहां एक दिन में 2,000 से अधिक मरीजों ने OPD का रुख किया। अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजीव दीक्षित ने जानकारी दी कि मरीजों के लिए कोल्ड रूम और ORS काउंटर भी बनाए गए हैं। इन सुविधाओं के बावजूद, मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है।

इस गर्म मौसम में चिकित्सकों का सुझाव है कि लोग बाहर के खाने से बचें और अपने आहार में तरल पदार्थों और ताजे फलों को शामिल करें। तेज धूप में बाहर निकलने से बचने की सलाह दी जा रही है, और यदि बाहर जाना जरूरी हो, तो अपनी त्वचा को ढकने का सुझाव भी दिया गया है। डिहाइड्रेशन के लक्षण दिखने पर तुरंत दवा लेने की सलाह दी जाती है, और यदि सुधार नहीं होता है, तो विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेने की आवश्यकता है। अस्पतालों में जिस तरह की व्यवस्थाएं हो रही हैं, उन्होंने मरीजों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है, और जिम्मेदार व्यक्तियों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।