**भास्कर न्यूज | लुधियाना:** लुधियाना शहर ने इस बार तापमान के मामले में नया रिकॉर्ड बनाया है, जब यहां का पारा 43 डिग्री से पार पहुंच गया। हालांकि, इस अग्नि तप्त मौसम में भी श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी देखने को नहीं मिली। अमर शहीद बाबा दीप सिंह गुरुद्वारा साहिब में आयोजित जप तप समागम ने इस बात का स्पष्ट प्रमाण पेश किया। इस विशेष समागम में विभिन्न स्थानों से आए लाखों श्रद्धालुओं ने न केवल मत्था टेका, बल्कि शबद-कीर्तन और सेवा में भी भाग लेकर अपने भक्ति भाव का प्रदर्शन किया।
समागम की शुरुआत बीबी चरणदीप कौर द्वारा श्री जपुजी साहिब के पाठ से हुई। इसके बाद अन्य पाठों जैसे श्री चोपाई साहिब और श्री सुखमणि साहिब का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में स्त्री सत्संग सभा की महिलाओं ने ‘धन-धन बाबा दीप सिंह जी तेरे चोपहरे ने साणु तारिया’ शीर्षक वाला भावविभोर करने वाला शबद गाया, जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने मिलकर बड़े श्रद्धा भाव से हिस्सा लिया। गुरुद्वारे के दरबार हाल और आसपास की सड़कों पर श्रद्धालुओं की भीड़ ऐसी थी कि मानो पूरा क्षेत्र भक्ति के रंग में रंगा हुआ था।
झ scorching धूप के बावजूद, श्रद्धालु नंगे पांव चलकर समागम स्थल तक पहुंचे। यह उनके साहस और भक्ति का अद्भुत उदाहरण था। समागम में भाग ले रहे श्रद्धालुओं ने न केवल अपनी भक्ति दिखाई, बल्कि उन्होंने सेवा कार्य में भी अपनी भागीदारी निभाई। संगत ने ठंडी जल की सड़कों पर छिड़काव करके राहगीरों के लिए रास्ता सुगम बनाने का प्रयास किया। हरविंदर कौर ने बताया कि वह हर समागम में अपने घर से ताजा पलाओ बनाकर लंगर के रूप में संगत को समर्पित करती हैं।
इसी क्रम में, मलकीत सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि वह देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए लस्सी और छोले-भटूरे का खास इंतजाम कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, गुरुद्वारा कमेटी ने श्रद्धालुओं के लिए कड़ी-चावल का लंगर लगाया, जिससे कि सभी भक्तों को सेवा का सौभाग्य प्राप्त हो सके। लंगर प्रथा सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भक्ति और समानता का प्रतीक है।
इस प्रकार, समागम के दौरान श्रद्धालुओं ने न केवल धार्मिक कर्तव्यों का पालन किया, बल्कि उन्होंने मानवता की सेवा करने में भी पीछे नहीं हटे। उनकी भक्ति और सेवा भावना ने सभी को एकत्रित कर दिया, जिससे यह कार्यक्रम बेहद सफल और यादगार बन गया। यह घटना एक बार फिर यह दर्शाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी आस्था और सेवा का जज्बा कभी कम नहीं होता।