हल्दीघाटी का अनोखा शरबत: शताब्दी पुरानी तकनीक से तांबे की भट्टी पर तैयार!

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**हल्दीघाटी का चमत्कार: चैत्री गुलाब का शरबत**

हल्दीघाटी, एक ऐतिहासिक स्थल जो महाराणा प्रताप और मुगल सेना के बीच हुए प्रसिद्ध युद्ध के लिए जाना जाता है। लेकिन इसके अलावा, हल्दीघाटी के पास बसे खमनोर गांव में उगने वाला खास चैत्री गुलाब भी अपनी पहचान बना रहा है। यहां के किसान इस गुलाब से विशेष शरबत का उत्पादन करते हैं, जो दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। बारिस के समय की ठंडक में यह शरबत एक नई ताजगी और ठंडक का एहसास कराता है, जिससे यहां के किसान खुशहाल जीवन बिताते हैं।

खमनोर के किसान चैत्री गुलाब का उत्पादन करने के साथ ही उसके गुलाब जल और गुलकंद भी तैयार करते हैं। यहां की मिट्टी में उगने वाले इन गुलाबों को 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक खेती के माध्यम से विकसित किया जाता है। इन गुलाबों की खासियत यह है कि इनका उपयोग परंपरागत तकनीक से शरबत बनाने के लिए किया जाता है। अप्रैल के महीने में, जब गर्मी बढ़ती है, तो किसान अपने फसल का उपयोग करते हुए शरबत तैयार करने में जुट जाते हैं। कृष्णकांत माली जैसे किसान जो कि इस व्यापार के पितृ परंपरा का हिस्सा रहे हैं, बताते हैं कि उनके परिवार ने पिछले 3-4 दशकों से गुलाब की खेती और शरबत के उत्पादन का कार्य जारी रखा है।

गुलाब की खेती के साथ-साथ खमनोर में शरबत बनाने का काम आजादी के बाद शुरू हुआ। यहां करीब 100 परिवार इस व्यवसाय में संलग्न हैं। खमनोर से शाही बाग क्षेत्र में शरबत की लगभग 50 दुकानों पर टूरिस्टों की कतारें लगी रहती हैं। शरबत की प्रचलित वैरायटी में गुलाब, सौंफ, पान, इलायची, खस, अजवाइन और पौदीना शामिल हैं, लेकिन सबसे खास तो चैत्री गुलाब से बना शरबत होता है। इसे तैयार करने की प्रक्रिया भी अलग है, जिसमें फ्रेश फूलों का उपयोग किया जाता है।

गुलाब जल के उत्पादन के लिए तांबे के पात्रों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें ताजा गुलाब के लगभग 45 किलो फूल डालकर उसे उबाला जाता है। इससे प्राप्त भाप को ठंडा कर गुलाब जल बनता है, जिसे खास प्रकार की मिश्री के साथ मिलाकर शरबत तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की मिलावट का उपयोग नहीं होता, जिससे शरबत को पूरी तरह शुद्ध माना जाता है।

खमनोर की यह शरबत न केवल राजस्थान बल्कि महाराष्ट्र और गुजरात के कई शहरों तक पहुंचती है। यहां का सालाना कारोबार लगभग 6 करोड़ रुपये का है। इस अद्वितीय स्वाद के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते हैं और इसकी ताजगी का आनंद लेते हैं। एक ग्राहक ने बताया कि ऐसा स्वाद उन्होंने पहले कभी नहीं चखा। हल्दीघाटी के इस विशेष शरबत की यात्रा मात्र एक ठंडक नहीं, बल्कि एक सम्पूर्ण अनुभव है, जो हर किसी को याद रह जाता है।

इस प्रकार, हल्दीघाटी और खमनोर का यह क्षेत्र न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि इसका सांस्कृतिक धरोहर भी अद्वितीय है। यह शरबत न सिर्फ ताजगी लाता है, बल्कि अतीत के साथ वर्तमान को भी जोड़ता है, जिससे यह क्षेत्र और भी खास बन जाता है।