राजस्थान में एमडी ड्रग तस्करों ने अपने ठिकानों को बदलकर प्रतापगढ़ के घने जंगलों का रुख किया है। यह इलाका अब न केवल अवैध अफीम के उत्पादन का गढ़ बना हुआ है, बल्कि यहां एमडी ड्रग बनाने वाली फैक्ट्रियां भी लगाई जा रही हैं। इन फैक्ट्रियों में तैयार एमडी ड्रग का स्टॉक और भारी मात्रा में हथियार भी रखे जा रहे हैं। स्थानीय तस्कर अब न सिर्फ राज्य में, बल्कि समूचे देश में एमडी की आपूर्ति कर रहे हैं, जिससे इस इलाके का नशे के कारोबार में महत्त्व बढ़ता जा रहा है। हाल ही में भोपाल में पकड़े गए 1800 करोड़ रुपये के एमडी ड्रग का सीधा नाता इसी क्षेत्र से जोड़ा गया है।
प्रतापगढ़ इलाके के अरनोद और देवल्दा गांव में तस्करों की सक्रियता काफी बढ़ गई है। पुलिस की खुफिया जानकारी के अनुसार, पिछले कुछ महीने में गिरफ्तारियों और छापेमारी के बावजूद, ये तस्कर अपने नेटवर्क को मजबूत करते जा रहे हैं। पहले पश्चिमी राजस्थान से एमडी का कारोबार गुजरात और महाराष्ट्र तक पहुंचता था, लेकिन अब प्रतापगढ़ से दोगुनी मांग के साथ सप्लाई की जा रही है। इन तस्करों ने अपने रिश्तेदारों को भी इस अवैध व्यापार में शामिल कर लिया है, जिससे उनकी रणनीति और भी मजबूत हो गई है।
हाल ही में अधिकांश प्रमुख छापेमारी के दौरान पुलिस ने पोल्ट्री फार्म जैसे असामान्य स्थानों पर भी ड्रग्स के बड़े भंडार का पता लगाया है। 6 अप्रैल 2025 को अरनोद थाना पुलिस ने एक पोल्ट्री फार्म पर छापा मारकर 1 किलो 650 ग्राम एमडी ड्रग और कई अन्य नशीले पदार्थ के साथ असलहे भी बरामद किए। इस फार्म का संचालन करने वाला फरदीन खान पठान और उसके साथी बड़े तस्करों से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार हुए हैं। इसके अलावा, 16 दिसंबर 2024 को एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स ने देवल्दा गांव में 40 करोड़ रुपये की एमडी ड्रग के साथ तीन तस्करों को पकड़ा, जो कि भोपाल में बड़ी खेप से जुड़े थे।
यह न सिर्फ स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर ड्रग्स के इन्फ्रास्ट्रक्चर में बदलाव का संकेत है। राजस्थान के विस्तृत और घने जंगल इस तस्करी के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं, जहाँ तस्कर आसानी से अपने काम को अंजाम दे सकते हैं। इसके चलते तस्करी का रूट भी बदल गया है और उन्हें नए जगहों की तलाश करनी पड़ रही है। पुलिस अधिकारियों ने माना है कि तस्करों का यह नेटवर्क पहले से देश भर में फैला हुआ है और अब एमडी ड्रग का कारोबार तेजी से बढ़ता जा रहा है।
साथ ही, पश्चिमी राजस्थान में अफीम के उत्पादन पर भी ध्यान दिया जा रहा है। यहां पर हुए अनेकों छापेमारी से साबित होता है कि तस्कर अपनी सुविधानुसार गठबंधनों और स्थानों का चयन कर रहे हैं। इस संबंध में पुलिस के उच्च अधिकारियों का कहना है कि प्रभावी कार्रवाई जारी रहेगी ताकि इस नेटवर्क को तोड़ा जा सके और स्थानीय स्तर पर नशे के कारोबार पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जा सके।