आतंकवाद के विरूद्ध गूंजे कवियों के स्वर, बोले : ‘आतंकवाद से पहले गद्दारों को संवारो’

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आतंकवाद के विरूद्ध गूंजे कवियों के स्वर, बोले : ‘आतंकवाद से पहले गद्दारों को संवारो’

फतेहाबाद, 27 अप्रैल (हि.स.)। पिछले दिनों कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष पर्यटकों के प्रति संवेदना प्रकट करने, उन्हें काव्य रूप से श्रद्धांजली देने तथा दुराचारी आतंकवादियों के विरोध में सेंट जोसफ इंटरनेशनल स्कूल, बीघड़ रोड फतेहाबाद में रविवार को काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। विद्यालय के डीएम तथा शिक्षाविद् सर्वजीत मान की अध्ययक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्यअतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. ओमप्रकाश कादयान थे तथा मंच संचालन शिक्षक व कवि डॉ. सुदामा शास्त्री ने किया। कविता पाठ से पहले आतंकवाद का शिकार हुए लोगों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। काव्य पाठ करते समय कवियों में आतंकवादियों, पाकिस्तान तथा भारत विरोधी गद्दारों के खिलाफ गुस्सा साफ झलक रहा था। कवि गोष्ठी की शुरूआत युवा कवि व हिन्दी के प्राध्यापक देवेन्द्र कुमार ‘अशंक’ ने उग्रवादियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते हुए की। उन्होंने देश के गद्दारों के प्रति कहा कि ‘आतंकवाद से पहले गद्दारों को संवारो, जल रोको जल्लादों का, गोली के बदले गोले दागो।’ जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग जींद के जिला सलाहाकार व कवि रणधीर मताना ने अपनी कविता के माध्यम से आह्वान किया कि ‘उठो धरा के वीर जवानो, पुन: नया निर्माण करो, खिल उठे फिर से जम्मू की वादियां, पहलगांव में फिर से ऐसा सुकाम करो।’ रणधीर मताना ने अपनी दूसरी कविता में उग्रवाद व पाकिस्तान को कभी न भूलने वाला सबक सिखाने की बात कही तो मानावाली गांव के वरिष्ठ कवि डॉ. सुरेश पंचारिया ‘संस्कारी’ ने पहलगाम की घटना से दु:खी होकर व्याकुल मन से कहा ‘नित नयनों से पिंघल-पिंघल कर, मन की पीड़ा बरसे, पता नहीं घर लौटेगा भी, जो निकला है घर से।’ डॉ. पंचारिया ने पूरे जोश, किन्तु दु:खी हृदय से चार कविताएं सुनाई। शिक्षक व कवि डॉ. सुदामा शास्त्री ने उग्रवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते हुए कहा ‘आतांकिस्तान के नापाद इरादों को कुचलना होगा, विषधर के विष को खाक में दफन करना होगा, मानवता के दुश्मनों को जहन्नुम में भेजना होगा।’ कार्यक्रम में अन्य लोगों, कवियों व विद्वानों के साथ-साथ राजीव धमीजा ने भी अपने विचार रखे। मुख्यअतिथि वरिष्ठ साहित्यकार व यायावर छायाकार डॉ. ओमप्रकाश कादयान ने कहा कि उग्रवाद देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व पर ऐसा काला व दु:खद धब्बा है जो भाइचारे व अहिंसा की जड़े खोखली कर रहा है। कोई भी उग्रवादी किसी भी धर्म का रक्षक हो ही नहीं सकता। उसकी न कोई जात है, न धर्म, न उसके पास मानवता है, न समाज-देश के प्रति वफादारी। वह केवल राक्षस प्रवृति वाले ऐसे लोग है जो शांति व विकास में बड़े बाधक है।