हार्वर्ड में सिखाया जाएगा महाकुंभ का फूड मैनेजमेंट, IIT-IIM भी कर रहे अध्ययन!

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महाकुंभ 2025 का आयोजन विश्व स्तर पर एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम बन चुका है। इस मेले के आयोजन और प्रबंधन को देखते हुए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इसे एक अध्ययन का विषय बनाया है। यहाँ एमबीए के छात्रों के लिए महाकुंभ के भोजन प्रबंधन पर एक पाठ्यक्रम तैयार किया जायेगा। हार्वर्ड के शोधकर्ता महाकुंभ के समय में श्रद्धालुओं के खान-पान की व्यवस्थाओं का विश्लेषण करने के लिए एक केस स्टडी विकसित कर रहे हैं, जिसमें यह दर्शाया जाएगा कि किस प्रकार 45 दिनों के दौरान 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु इस मेले में शामिल हुए और किसी भी श्रद्धालु को भूखा नहीं रहना पड़ा। इसके लिए सरकार ने सभी श्रेणी के भक्तों के लिए समुचित भोजन की व्यवस्था की थी, जिसमें विभिन्न सामाजिक और व्यापारिक संस्थाएं, मानवता की सेवा में अग्रणी संस्थाएं और प्रमुख उद्योग समूहों का योगदान शामिल रहा।

महाकुंभ से संबंधित अध्ययन में केवल खाद्य प्रबंधन तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी गहन शोध किया जा रहा है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ‘महाकुंभ मेले का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव’ शीर्षक से एक केस स्टडी पर कार्य कर रही है। इस अध्ययन में महाकुंभ के आयोजन पर सरकार द्वारा किए गए 7,000 करोड़ रुपये के खर्च के बावजूद उत्तर प्रदेश में 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक दायरा बनाने की जानकारी दी जाएगी। छोटे व्यापारियों, नाविकों और दुकानदारों की बढ़ती आय भी इस अध्ययन का हिस्सा है।

इसके साथ ही, अहमदाबाद यूनिवर्सिटी नृवंशविज्ञान के दृष्टिकोण से महाकुंभ का मानवशास्त्रीय अध्ययन कर रही है। इसमें भक्तों की आस्था और धर्म के प्रति उनके विचारों का अवलोकन किया जाएगा। वहीं, आईआईटी चेन्नई जल प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जहाँ स्नान और पेयजल की व्यवस्था को 66 करोड़ लोगों के लिए सुचारू रूप से करने की केस स्टडी की जा रही है। अपशिष्ट जल प्रबंधन की रणनीतियों पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

आईआईटी कानपुर सोशल मीडिया पर महाकुंभ के प्रचार-प्रसार की गतिविधियों का विश्लेषण कर रहा है, ताकि गलत सूचनाओं का प्रसार रोकने के लिए उचित उपाय किए जा सकें। दूसरी ओर, एम्स दिल्ली महाकुंभ में स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था और आपातकालीन उपचार पर विस्तृत अध्ययन कर रहा है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित और प्रभावी हस्तक्षेप सुनिश्चित किया जा सके।

आईआईएम लखनऊ और आईआईएम बेंगलुरु इस मेले के प्रबंधन के लिए रणनीतिक योजना और उत्तम प्रथाओं पर कार्य कर रहे हैं। इन संस्थानों द्वारा यह अध्ययन किया जा रहा है कि कैसे महाकुंभ के लिए तैयारी दो वर्ष पहले से शुरू की गई थी और शीर्ष अधिकारियों द्वारा निरंतर समीक्षा की गई थी। IIM इंदौर भी इस आयोजन के पर्यटन विकास, मीडिया प्रबंधन और कार्यक्रम कवरेज पर अध्ययन कर रहा है, ताकि महाकुंभ 2025 को एक सफल अवसर बनाया जा सके।

महाकुंभ का यह व्यापक अध्ययन विभिन्न स्तरों पर न केवल धार्मिक आस्था और सामाजिक धरोहर को समझने में सहायक सिद्ध होगा, बल्कि यह आने वाले आयोजनों के प्रबंधन के लिए भी एक उत्कृष्ट मॉडल प्रस्तुत करेगा। यह एक ऐसा मंच है जो न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसका प्रभाव महसूस किया जाएगा।