लखनऊ प्रोफेसर के 10 विवादित पोस्ट: पीएम-CJI पर टिप्पणियां, छात्रों ने की टुकड़े-टुकड़े गैंग जोड़ने की शिकायत!

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लखनऊ विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. माद्री काकोटी का सोशल मीडिया पर किया गया एक विवादित पोस्ट अब केवल भारत में नहीं, बल्कि पाकिस्तान में भी सुर्खियों में है। उनके सोशल मीडिया पर किए गए कुछ बयानों को लेकर विश्वविद्यालय के छात्रों ने विरोध प्रदर्शन आयोजित किए हैं। छात्रों का आरोप है कि डॉ. काकोटी ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ की सदस्य हैं। इस विरोध के बीच छात्रों ने दैनिक भास्कर के साथ डॉ. काकोटी के 10 विवादास्पद पोस्ट साझा किए, जिन पर उनकी आपत्ति है। इनमें उनके द्वारा किए गए कई भड़काऊ और विवादास्पद कमेंट शामिल हैं, जैसे कि अंडरगार्मेंट्स पर टिप्पणी और विभिन्न धार्मिक मुद्दों पर उनकी प्रतिक्रियाएं।

छात्रों ने डॉ. काकोटी के पोस्टों की एक सूची साझा की है, जिसमें उनके द्वारा हिन्दूवादी विचारों के खिलाफ की गई टिप्पणियाँ और कटाक्ष शामिल हैं। एक स्टूडेंट विवेक मिश्रा ने कहा कि प्रोफेसर ने धीरेंद्र शास्त्री को अपमानित करते हुए पोस्ट किया है और उन पर आज़ादी का नारा लिखवाने का आरोप लगाया है। इसी बिंदु पर उन्होंने यह भी कहा कि अगर डॉ. काकोटी को भारत से आज़ादी चाहिए, तो उन्हें इसे प्राप्त करना चाहिए, और वे उन्हें ऐसे शिक्षकों से आज़ादी देने की भी मांग कर रहे हैं।

इस बीच, छात्रों ने प्रदर्शन करते समय पुलिस से भी हल्की फुल्की झड़प की। बीते मंगलवार को, एबीवीपी से संबंधित छात्रों ने प्रशासनिक भवन का घेराव करते हुए डॉ. काकोटी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। प्रदर्शन के दौरान ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ और ‘आतंकवाद मुर्दाबाद’ के नारे लगाते हुए छात्रों ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे डॉ. काकोटी की शिक्षकों की भूमिका के खिलाफ हैं। छात्रों का एक समूह उनकी सर्मथना में भी सामने आया।

इस विवाद की जड़ें एक वीडियो पोस्ट में जाती हैं, जो डॉ. काकोटी ने पहलगाम आतंकी हमले के अगले दिन साझा किया था। उन्होंने धर्म के आधार पर भेदभाव को आतंकवाद की संज्ञा दी थी, जो पाकिस्तान में तेजी से फैल गया। इस पोस्ट ने न केवल उनके खिलाफ छात्र संगठनों में उबाल पैदा किया, बल्कि इससे इंटरनल सिक्योरिटी की चूक को लेकर सवाल भी उठाए गए। प्रोफेसर के शब्दों ने कई लोगों को नाराज किया, जो अभी भी भारत में बढ़ते आतंकवाद और उसके कारणों पर बहस कर रहे हैं।

डॉ. माद्री काकोटी ने बाद में अपने बयानों को स्पष्ट करते हुए कहा कि उनका आशय नहीं समझा जा सका और उन्होंने खुद को सच्चा देशभक्त बताया। उन्होंने यह भी कहा कि उनके शब्द और पोस्ट केवल पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवादियों के संदर्भ में थे। उनका कहना था कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें पाकिस्तान के साथ जोड़ा जाएगा। इस परिस्थिति में, वे एक शिक्षिका होते हुए भी अपना संदेश स्पष्ट रूप से नहीं पहुंचा पाईं, जिसे लेकर वे खेद प्रकट कर रही हैं।

यह मामला अब विश्वविद्यालय के भीतर और बाहर दोनों जगहों पर राजनीतिक एवं सामाजिक बहस का विषय बन गया है। छात्र संगठनों की इस सक्रियता से साफ जाहिर होता है कि विश्वविद्यालय के छात्रों में अपनी आवाज उठाने और विरोध करने की भावना प्रबल है, जिसका असर भविष्य की राजनीतिक गतिविधियों पर पड़ सकता है।