कलेक्टर के आदेश के बाद भी सुखला परिवहन पर प्रतिबंध पूरी तरह नाकाम : कीमतों में उछाल से गौपालक और गौशालाएं संकट में

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कलेक्टर के आदेश के बाद भी सुखला परिवहन पर प्रतिबंध पूरी तरह नाकाम : कीमतों में उछाल से गौपालक और गौशालाएं संकट में

मन्दसौर 23 अप्रैल (हि.स.)। जिले में पशु चारे (सुखला) के परिवहन पर लगाए गए प्रतिबंध पूरी तरह निष्प्रभावी साबित हो रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा सुखला को जिले से बाहर ले जाने पर रोक लगाने के आदेश के बावजूद, इसका अवैध परिवहन और व्यावसायिक उपयोग बदस्तूर जारी है। नतीजतन, सुखला की कीमतों में भारी उछाल आया है, जिससे पशुपालक किसानों और गौशालाओं के सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। प्रतिदिन ट्रेक्टरों में भरकर सुखले का परिवहन हो रहा है लेकिन कोई रोकने वाला नहीं है। यातयात थाना पुलिस भी इसे लेकर बहुत गंभीर नहीं है स्थिति यह है कि लगभग रोज मंदसौर यातायात पुलिस थाने के बाहर से सुखले से भरे टेक्टर निकलते है, लेकिन यातायात पुलिस द्वारा कोई बडी कार्यवाही आज तक नहीं की गई है।

सिंडिकेट बनाकर कर रहे काम

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कुछ लोग संगठित तरीके से गांव-गांव जाकर सुखला खरीद रहे हैं। इसे खुले मैदानों में ढेर लगाकर एकत्रित किया जाता है और फिर ट्रकों के जरिए औद्योगिक इकाइयों को सप्लाई किया जा रहा है। कारखानों में सुखला का उपयोग बॉयलर में ईंधन के रूप में किया जा रहा है, इसके अलावा आजकल मशीनों से गेहूं निकालने का काम किया जा रहा है जिसके कारण स्२ाुखले की पैदावार भी कम हुई है। जिसके चलते इसकी मांग में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। पहले मुख्य रूप से पशुओं के चारे के लिए उपयोग होने वाला सुखला अब व्यावसायिक मुनाफे का साधन बन गया है। नतीजतन, इसकी कीमत पिछले कुछ महीनों में लगभग दोगुनी हो गई है।

जिला प्रशासन को सुखला (भूसे) के अवैध परिवहन पर सख्त कार्रवाई, इसकी कीमतों को नियंत्रित करने के लिए नीति निर्माण और औद्योगिक इकाइयों में सुखला के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने जैसे ठोस आदेश देकर उनका कढ़ाई से पालन करवाना होगा। इसके अलावा, कुछ गौपालको ने सुझाव दिया है कि सरकार वैकल्पिक चारे की आपूर्ति को बढ़ावा दे और पशुपालकों को सब्सिडी प्रदान करे। जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सुखला के परिवहनों की जांच के लिए विशेष टीमें गठित की जाएंगी। उन्होंने कहा, हम इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं। जल्द ही अवैध परिवहन पर अंकुश लगाने और सुखला की स्थानीय उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।

प्रतिबन्ध बेअसर साबित हो रहा

मंदसौर जिले में पशुओं के लिए चारा व भूसे की कमी को रोकने के लिए कलेक्टर व जिला दंडाधिकारी अदिती गर्ग ने म.प्र. पशु चारा (निर्यात नियंत्रण) आदेश 2000 के तहत जिले से चारा, भूसा, घास, ज्वार आदि के निर्यात पर 30 जून 2025 तक प्रतिबंध लगाया था। यह निर्णय जिले में पशुओं के लिए चारे की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए लिया गया था। आदेश के अनुसार, चारा व भूसे का उपयोग ईंट भट्टों, कारखानों में जलाने या जिले की सीमा से बाहर निर्यात करना पूरी तरह प्रतिबंधित है। कोई भी कृषक, व्यापारी, व्यक्ति या निर्यातक संस्था बिना कार्यपालक मजिस्ट्रेट की लिखित अनुमति के वाहन, नाव, ट्रक, बैलगाड़ी या रेलवे जैसे किसी भी माध्यम से इन सामग्रियों को जिले से बाहर नहीं ले जा सकेगी। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ म.प्र. पशु चारा (निर्यात नियंत्रण) आदेश 2000 के प्रावधानों के तहत कड़ी दंडात्मक कार्रवाई करने का प्रावधान भी है। किंतु फिलहाल ये आदेश पूरी तरह से बेअसर साबित हो रहा है।

मंदसौर यातायात थाना प्रभारी मनोज सोलंकी का कहना है कि सुखले के परिवहन पर हम कार्यवाही करते है। इस वर्ष भी कार्यवाही की है, आंकडे देखना पडेंगे, लेकिन हमारी टीम लगातार कार्यवाही करती हैं।