जालंधर की निवासी आरुषि शर्मा ने अपनी मेहनत और लगन के बल पर केवल 23 वर्ष की आयु में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में सफलता प्राप्त की है। उनका चयन 184वीं रैंक के तहत हुआ है, जो युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्पद संस्था के रूप में उभरी हैं। यह सफलता न केवल उनके लिए, बल्कि उनके परिवार और शहर के लिए गर्व का क्षण है। इंटरव्यू के दौरान, एक पैनल सदस्य द्वारा दिए गए संकेतों ने पहले ही उनकी सफलता का इशारा किया था, जब उन्होंने आरुषि को ‘एडोलसेंस’ नामक वेब सीरीज देखने की सलाह दी थी। यह संकेत अब सही साबित हुआ है, क्योंकि आरुषि ने यूपीएससी की परीक्षा को उत्तीर्ण कर लिया है।
आरुषि का प्रमुख विषय मनोविज्ञान है, जिसमें उनकी गहरी रुचि रही है। मनोविज्ञान का अध्ययन उन्हें नशे की लत से जूझ रहे मरीजों की सहायता करने के लिए प्रेरित करता है। जालंधर के फ्रेंड्स कॉलोनी में रहने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट असीम शर्मा की बेटी आरुषि ने कहा है कि वे नशे की समस्या से निपटने के लिए काम करना चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने न केवल अपनी शिक्षा का लाभ उठाया, बल्कि अपनी समर्पण भावना भी दिखाई। उनके दादा, जो एलआईसी में कार्यरत थे, और दादी ने भी उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया है।
आरुषि के परिवार में शिक्षा को लेकर एक गहरा संस्कार है। उनके पिताजी असीम शर्मा ने भी सीए परीक्षा के दौरान 8 से 10 घंटे पढ़ाई की। इस अनुभव का लाभ आरुषि और उनके छोटे भाई अनिरुद्ध को भी मिला। आरुषि की माँ नीतू शर्मा ने कहा कि उनके नाना, विनोद बाली, हमेशा चाहते थे कि उनका पोता या पोती अधिकारी बने। अब यह सपना साकार हो गया है। जब आरुषि का चयन हुआ, तब पूरे परिवार ने खुशी में मिठाइयाँ बांटी और एक-दूसरे को बधाई दी।
उनकी सफलता केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह यह दर्शाता है कि किस प्रकार मनोविज्ञान का प्रयोग समाज में परिवर्तन लाने के लिए किया जा सकता है। आरुषि ने इंटरव्यू में विभिन्न सवालों का सामना करते हुए अपने आत्मविश्वास को बनाए रखा। उन्होंने बताया कि वेटिंग रूम में बैठे लोगों के मनोवैज्ञानिक विश्लेषण पर भी चर्चा हुई। उन्होंने देखा कि कुछ लोग आत्मविश्वासी थे, तो कुछ तैयारी में व्यस्त थे। ये विवरण न केवल आरुषि के आत्मविश्वास को उजागर करते हैं, बल्कि उन परिस्थितियों को भी दर्शाते हैं जो युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।
आरुषि ने अपनी प्राथमिकताओं में महिला सशक्तिकरण और नशा मुक्ति को शामिल किया है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक का देश के विकास में योगदान है और वह हमेशा से प्रशासनिक सेवाओं का हिस्सा बनने का सपना देखती थीं। उनकी मेहनत और दृढ़ता ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है, और यह न केवल उन्हें, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक प्रेरणा बनेगी।