यूपी में ग्रीन-डे अलर्ट: झांसी सबसे गर्म, अमेठी ठंडा; पछुआ से बदलेंगे हालात!

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उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में ग्रीन अलर्ट जारी किया गया है, जिससे मौसम में परिवर्तन के संकेत मिलने लगे हैं। पिछले 24 घंटों में पछुआ हवा की गति धीमी हो गई है और इसके परिणामस्वरूप अगले कुछ दिनों में मौसम पूरी तरह से बदल सकता है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, अगले दो दिनों में न्यूनतम और अधिकतम तापमान में 3 से 4 डिग्री की वृद्धि होने की संभावना है। इस बीच, झांसी ने शुक्रवार को सबसे गर्म शहर का खिताब हासिल किया, जहाँ अधिकतम तापमान 31.7 डिग्री सेल्सियस रहा। वहीं, अमेठी का न्यूनतम तापमान 9.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

मौसम वैज्ञानिक मनोज श्रीवास्तव ने जानकारी दी है कि पिछले 48 घंटों में तापमान में 4 से 6 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई है। लेकिन आगामी तीन दिनों के दौरान दिन का तापमान फिर से 4 से 6 डिग्री सेल्सियस बढ़ सकता है। हालांकि, रात में हल्की ठंड का एहसास जारी रह सकता है। मौसम में बदलाव का कारण एक नए पश्चिमी विक्षोभ का आना बताया जा रहा है। यह पश्चिमी विक्षोभ 9 मार्च से 11 मार्च के बीच सक्रिय होगा और इसके चलते उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मावठा, यानी हल्की बारिश की संभावना है।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने पूर्वी असम के आस-पास बने साइक्लोनिक सर्कुलेशन के प्रभाव का भी उल्लेख किया। इस सर्कुलेशन से तेज हवाएं चलने की संभावना है, जो किसानों के लिए चिंता का सबब बन सकती है। कृषि वैज्ञानिक मुकेश के अनुसार, किसानों को इस समय गेहूं और सरसों की फसलों की सिंचाई नहीं करनी चाहिए, क्योंकि तेज हवा के कारण फसलों के गिरने का खतरा बढ़ सकता है। उन्हें सलाह दी गई है कि मौसम के मिजाज को समझने के लिए अगले 2-3 दिन इंतजार करें और फिर सिंचाई का निर्णय लें।

इस बार मौसम के उतार-चढ़ाव को देखते हुए यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि फसल उत्पादन प्रभावित हो सकता है। किसान यदि सही समय पर उचित कदम उठाएंगे, तो वे अपनी फसलों के नुकसान को कम कर सकते हैं। मौसम विभाग लगातार किसानों को सलाह दे रहा है कि वे मौसम की स्थितियों पर नजर रखें और अपनी फसलों की देखभाल के लिए विद्यमान परिस्थितियों का सही आकलन करें। ऐसा करके वे अपने कृषि व्यवसाय को सुरक्षित रख सकते हैं।

इस तरह, यूपी में मौसम के मिजाज में आए बदलाव के चलते सभी संबंधित पक्षों को सतर्क रहना होगा ताकि फसलों का सही प्रबंधन किया जा सके और उत्पादन को बनाए रखा जा सके।