राजस्थान में किडनी कांड मामले में सरकार ने सिर्फ दो अधिकारियों को दोषी ठहराया है। इनमें से एक हैं डॉ. राजेंद्र बागड़ी, जिन्होंने स्टेट ऑथराइजेशन कमेटी के कोऑर्डिनेटर के रूप में कार्य किया, और दूसरे हैं सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह। लेकिन इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। यह जानकारी चित्तौड़गढ़ के विधायक चंद्रभान सिंह आक्या द्वारा विधानसभा में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में सामने आई है।
डॉ. बागड़ी के खिलाफ 16 सीसीए की कार्रवाई चल रही है, जिसके तहत कार्मिक विभाग ने उन्हें जारी किया गया ज्ञापन भी दर्शाता है। हालांकि, डॉ. बागड़ी का निलंबन पहले ही बहाल हो चुका है और इस समय वह राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस में सीनियर प्रोफेसर के तौर पर डेपुटेशन पर कार्यरत हैं। दूसरी ओर, सचिवालय सेवा में कार्यरत गौरव सिंह को भी 16 सीसीए के तहत चार्जशीट दी गई है।
जांच समिति ने इस मामले में डॉ. सुधीर भंडारी, राजीव बगरहट्टा और अचल शर्मा को क्लीन चिट दी है। जबकि किडनी कांड पर हिंदी दैनिक भास्कर के द्वारा बार-बार किए गए खुलासों के बाद चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने इन तीनों को लिप्त मानकर उनके खिलाफ कार्रवाई की थी। उस समय, डॉ. भंडारी आरयूएचएस के वाइस चांसलर, डॉ. बगरहट्टा एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और डॉ. अचल शर्मा एसएमएस हॉस्पिटल के सुपरिटेंडेंट के पद पर कार्यरत थे। सरकार ने उन सभी से इस्तीफा भी मांगा था और उन्हें पद से हटा दिया गया था।
चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने 15 मई, 2024 को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन तीन सीनियर डॉक्टरों को प्राथमिक जांच के आधार पर दोषी ठहराया था। हालांकि, अब इनकी सफाई ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या सरकार की कार्रवाई सही थी। राज्य में किडनी कांड के मामले में लिप्त अधिकारी और डॉक्टरों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इधर, मामले से जुड़े लोगों के बीच इस विषय पर चर्चा جاری है और सरकार की कार्रवाई को लेकर तीखी आलोचना की जा रही है।
किडनी कांड ने चिकित्सा जगत में हलचल मचा दी है और अब सरकार को जवाबदेही सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होना बेहद जरूरी है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके। जनता और मीडिया की नजरें इस मामले पर होंगी, क्योंकि लोगों को विश्वास है कि सच्चाई सामने आएगी और न्याय मिलेगा।