राजस्थान में भीषण बारिश का संकट: 11 जिलों में अलर्ट, तापमान 10 डिग्री से नीचे!

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राजस्थान में उत्तरी हवाओं का प्रभाव जारी है, जिसके कारण सुबह और शाम की ठंडक बनी हुई है। रविवार को राज्य के कई शहरों में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे रिकॉर्ड किया गया। इस ठंडे मौसम के चलते आने वाले दो दिनों में भी ऐसा ही हालात रहने की संभावना है। मौसम वैज्ञानिकों ने सूचित किया है कि 2 अप्रैल से राज्य में एक नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो सकता है, जिससे 2 से 4 अप्रैल के दौरान बादल आने और बारिश की आशंका जताई गई है। इसे ध्यान में रखते हुए, मौसम विभाग ने 2 अप्रैल के लिए 7 जिलों में और 3 अप्रैल के लिए 11 जिलों में येलो अलर्ट जारी किया है।

गौरतलब है कि पिछले 24 घंटों में राजस्थान के अधिकांश हिस्सों में मौसम सूखा रहा। इस दौरान उत्तरी हवाएं शनिवार के मुकाबले रविवार को थोड़ी कमजोर पाई गईं, जिसके फलस्वरूप दिन के तापमान में 1 से 3 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हुई। रविवार को सर्वाधिक तापमान बाड़मेर में 37.4 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि चित्तौड़गढ़ में यह 37.2 डिग्री सेल्सियस, कोटा में 36 डिग्री, सीकर में 32 डिग्री, पिलानी में 35 डिग्री, अजमेर में 33.6 डिग्री, जोधपुर और जैसलमेर में 35.8 डिग्री, बीकानेर में 35.2 डिग्री, चूरू में 34.4 डिग्री तथा श्रीगंगानगर में 34.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

जयपुर में रविवार को दिनभर आसमान साफ रहा, हालांकि शाम के समय हल्के बादल छा गए। यहां का अधिकतम तापमान 33.8 डिग्री सेल्सियस रहा, जिससे शहर में गर्मी की अनुभूति कम रही। इसके अतिरिक्त, फतेहपुर और बारां जैसे शहरों में रात के समय सर्दी तेज हो गई है, जिससे यहां के निवासियों को ठंड का सामना करना पड़ा। इन स्थानों में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया, जहां फतेहपुर (सीकर) में सबसे कम तापमान 8.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। माउंट आबू (सिरोही) में न्यूनतम तापमान 9.4 डिग्री तथा बारां में 9.3 डिग्री सेल्सियस रहा।

राजस्थान में मौसम की यह परिवर्तनशीलता विभिन्न क्षेत्रों में तापमान में उतार-चढ़ाव का कारण बन रही है। जहां एक ओर कुछ शहरों में ठंडक महसूस की जा रही है, वहीं अन्य स्थानों पर गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से आने वाले दिनों में मौसम में फिर से बदलाव आएगा, जिससे बारिश के साथ ही तापमान में भी गिरावट देखने को मिल सकती है। इस स्थिति का स्थानीय लोगों पर प्रभाव पड़ेगा, खासकर कृषि और दैनिक जीवन में।