पादरी बजिंदर सिंह पर संगीन आरोप: चर्च के केबिन में हुई शर्मनाक हरकत!

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कपूरथला पुलिस ने एक प्रसिद्ध पास्टर, प्रॉफिट बजिंदर सिंह, के खिलाफ छेड़छाड़ का गंभीर मामला दर्ज किया है। यह मामला उस समय उजागर हुआ जब एक महिला ने उसकी खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए थाने में शिकायत दर्ज कराई। महिला ने कहा कि बजिंदर सिंह जालंधर के गांव ताजपुर में ‘द चर्च ऑफ ग्लोरी एंड विस्डम’ नामक मसीही प्रचार केंद्र का संचालन करता है। बताया गया कि उसके माता-पिता ने अक्टूबर 2017 से इस चर्च में जाना शुरू किया था, जहां पास्टर ने महिला का फोन नंबर प्राप्त किया और उसके बाद अनधिकृत मैसेज और फोन कॉल करने लगा।

महिला ने अपनी शिकायत में बताया कि पिछले साल 2022 में पास्टर ने उसे चर्च के केबिन में अकेले बुलाने की प्रक्रिया शुरू की और वहां उसके साथ अनुचित व्यवहार करने लगा। पीड़िता ने पुलिस को बताया कि इस स्थिति ने उसे बहुत डरा दिया है और उसने अपने और अपने परिवार की सुरक्षा की चिंता व्यक्त की। उसने यह भी कहा कि अगर उसे या उसके परिवार के किसी सदस्य को कोई नुकसान पहुंचाता है, तो इसके लिए वह बजिंदर सिंह और उसके सहयोगी अवतार सिंह को जिम्मेदार मानती है।

थाना सिटी पुलिस ने महिला की शिकायत के आधार पर जांच प्रारंभ कर दी है और पुलिस ने पास्टर बजिंदर सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। यह मामला इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि बजिंदर सिंह खुद को एक प्रभावशाली पादरी की तरह पेश करता रहा है और उसके कार्यक्रमों में अक्सर बॉलीवुड की कई चर्चित हस्तियां भी शामिल होती रही हैं। इसके पीछे का तर्क यह हो सकता है कि उसकी प्रसिद्धि और अधिकारियों के संपर्क होने के कारण उसे इस तरह के मामलों में ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था।

कपूरथला की पुलिस अब मामले की गहराई से जांच कर रही है, ताकि स्थिति की सच्चाई का पता लगाया जा सके। साथ ही, पुलिस ने पीड़िता को सुरक्षा प्रदान करने का आश्वासन दिया है। यह मामला समाज में धार्मिक संस्थाओं के प्रति एक बार फिर से सवाल उठाने के लिए मजबूर करता है। कई बार शिकायतें आने पर भी ऐसे ताकतवर व्यक्तियों पर कार्रवाई नहीं की जाती, जिससे समाज में अन्य महिलाओं में भी असुरक्षा का भाव उत्पन्न होता है।

यह भी जरूरी है कि समाज के हर वर्ग में ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जाए और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। अब देखना यह होगा कि पुलिस अपनी जांच में कितनी गंभीरता से काम करती है और क्या पीड़िता को न्याय मिल पाता है। इस मामले से यह भी स्पष्ट होता है कि चर्च जैसी धार्मिक संस्थाएं सार्वजनिक जीवन में इतनी महत्वपूर्ण हो गई हैं कि उन पर सवाल उठाना अक्सर कठिन होता है। ऐसे में यह सुनिश्चित करना बहुत आवश्यक है कि महिलाओं के अधिकारों का सम्मान किया जाए और समाज में अपराधियों को सजा मिले।