जॉन अब्राहम का चौंकाने वाला खुलासा: ‘भारतीय होने पर गर्व, कभी असुरक्षित नहीं महसूस किया’!

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अभिनेता जॉन अब्राहम की हालिया फिल्म ‘द डिप्लोमैट’ ने एक बार फिर उन्हें चर्चा का केंद्र बना दिया है। एक इंटरव्यू में, उन्होंने देश के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के विषय पर अपने विचार साझा किए। टाइम्स नाउ की नविका कुमार के साथ बातचीत में जब जॉन से पूछा गया कि क्या उन्हें भारत में अल्पसंख्यक होने के नाते असुरक्षित महसूस होता है, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से इसका खंडन किया। जॉन ने कहा कि उन्होंने कभी भी अपने देश में खुद को असुरक्षित अनुभव नहीं किया है। उनका मानना है कि मीडिया और समाज में बहसें हो सकती हैं, लेकिन व्यक्तिगत अनुभव अलग होते हैं।

जॉन ने बताया, “मैं खुद एक अभिनेता हूं, और कई लोग मुझसे इस बात पर चर्चा करते हैं कि मैं एक अभिनेता हूं। लेकिन मैं एक अल्पसंख्यक समुदाय से आता हूं। मेरी मां पारसी हैं और पिता सीरियाई ईसाई। मैंने भारतीय समाज में हमेशा सुरक्षा का अनुभव किया है।” उनके विचारों में यह बात झलकती है कि उन्होंने अपने देश से गहरा प्रेम रखा है और वे सुरक्षा के मामले में संतुष्ट हैं। अभिनेता ने आगे कहा, “जो लोग अल्पसंख्यकों को एक मुसीबत के रूप में देखते हैं, वे शायद मेरी कहानी को नहीं जानते। मुझे यकीन है कि पारसियों से किसी को किसी प्रकार की समस्या नहीं हो सकती।”

जॉन अब्राहम ने अपने भारतीय होने पर गर्व का इजहार करते हुए बताया कि वह अपने कंधे पर भारतीय ध्वज का प्रसंग लेकर चलते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे खुद को इस देश का एक अभिन्न हिस्सा मानते हैं। “मुझे यह भी लगता है कि शायद मुझसे ज्यादा भारतीय कोई नहीं है। मैंने अपने देश की संस्कृति और परंपराओं को हमेशा सम्मान दिया है,” वे कहते हैं। यह बयान समाज में एक सकारात्मक संदेश भेजता है कि देश में अल्पसंख्यकों की आवाज भी महत्वपूर्ण है और उन्हें समान अधिकार मिलना चाहिए।

जॉन की फिल्म ‘द डिप्लोमैट’ में उनकी भूमिका को लेकर भी उन्होंने बात की। फिल्म की कहानी पाकिस्तान में भारतीय लड़की उज्मा अहमद के रेस्क्यू के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें जॉन ने डिप्लोमैट जितेंद्र पाल सिंह की भूमिका निभाई है। जेपी सिंह का उस समय की स्थितियों में महत्वपूर्ण योगदान रहा, जब वे पाकिस्तान स्थित भारतीय दूतावास में ज्वाइंट हाई कमीशनर थे। फिल्म की कहानी ने जॉन को इस विशेष भूमिका के लिए प्रेरित किया और उन्होंने इस विषय पर काफी अनुसंधान किया।

जॉन अब्राहम का मानना है कि इस फिल्म में उनकी भूमिका न केवल मनोरंजन है, बल्कि यह एक सच्ची घटना पर आधारित है जो दर्शकों को प्रभावित कर सकती है। वह एस जयशंकर के काम के प्रशंसक हैं और मानते हैं कि जेपी सिंह और उनके बीच कई समानताएं हैं। इन सभी तत्वों ने मिलकर ‘द डिप्लोमैट’ को एक महत्वपूर्ण फिल्म बना दिया है जो न केवल मनोरंजन प्रदान करेगी, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी दर्शकों को सोचने पर मजबूर करेगी।