अजमेर: डॉक्टरों ने मृत घोषित किया, चिता पर जिंदा हुआ व्यक्ति; जानें ये चौंकाने वाला सच

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**ब्यावर में जिंदा हुए नारायण सिंह की रहस्यमयी कहानी**

11 मार्च को ब्यावर के कोटड़ा गांव से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई जब एक व्यक्ति, जिसे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था, अचानक जिंदा हो उठा। नारायण सिंह, जो पैरालिसिस से पीड़ित थे, को पहले से ही कई स्वास्थ्य समस्याएं थीं। 7 मार्च को उन्हें अजमेर के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद, 11 मार्च को दोपहर 12:59 बजे डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हालांकि, उनके परिवार ने अंतिम संस्कार की तैयारी करना आरंभ कर दिया था, तभी अचानक नारायण सिंह के शव में हलचल हुई, जिससे सभी लोग अचंभित रह गए।

नारायण सिंह के परिवार वाले उन्हें अंतिम संस्कार के लिए श्मशान ले जा रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि उनके शरीर में हलचल हो रही है और उनकी नब्ज फिर से चलने लगी है। इस घटना से सभी उपस्थित लोग हक्के-बक्के रह गए और परिवार वालों ने तुरंत अंतिम संस्कार की प्रक्रिया रोक दी। फिर से जीवित होने की आशा में उन्हें एक धार्मिक स्थल पर ले जाया गया। लेकिन 12 घंटे बाद, सोमवार की सुबह उनकी स्थिति और बिगड़ गई और पारिवारिक सदस्यों ने फिर से उन्हें मृत मान लिया। इस बीच, झुंझुनूं में भी इसी तरह की एक घटना हुई थी, जिसमें एक शख्स शव से जिंदा होना पाया गया था, जिसे डॉक्टरों ने मृत घोषित किया था।

**झुंझुनूं में भी हुआ चमत्कार**

झुंझुनूं के बगड़ स्थित मां सेवा संस्थान में रहने वाले रोहिताश की 21 नवंबर को अचानक तबीयत बिगड़ गई। उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनका शव एक मुर्दाघर में रख दिया गया। लेकिन, जब उनकी बॉडी को चिता पर रखा गया, तो उसने हलचल करते हुए सांसें लेना शुरू किया, जिससे वहां उपस्थित सभी लोग चकित रह गए। फिर से अस्पताल ले जाने पर, हालत बिगड़ने के बावजूद वह रात को 1 बजे जयपुर के एसएमएस अस्पताल रेफर किए जाने के समक पहुंचे, जहां सुबह उनकी मौत हो गई।

इन दोनों घटनाओं ने अनेक सवाल खड़े किए हैं। चिकित्सकों का कहना है कि लोगों का अचानक जीवित हो जाना कई बार चिकित्सा लापरवाही के कारण हो सकता है। नारायण सिंह और रोहिताश की घटनाओं में डॉक्टर्स की जांच और मृत्यु की पद्धतियों में खामियां जैसी कई बातें स्पष्ट हुई हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि सही जांच की जाए, तो ऐसे मामलों में मृत्यु की पुष्टि में त्रुटियां कम हो सकती हैं।

**क्या विज्ञान के दृष्टिकोण से ये चमत्कार हैं?**

एम्स के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एस.एम. शर्मा के अनुसार, एक व्यक्ति को मृत घोषित करने के बाद भी अगर शरीर में हलचल होती है, तो इसे लाजारस सिंड्रोम के तौर पर समझा जा सकता है। यह सही जांच और डिफिब्रिलेशन जैसे उपचारों पर निर्भर करता है। अक्सर ऐसा होता है कि अचानक दिल की धड़कने रुक जाने के बाद भी कुछ समय तक मस्तिष्क में हलचल बनी रहती है। यह सब चिकित्सा दृष्टिकोण से देखने पर स्पष्ट होता है कि ये घटनाएं आश्चर्यजनक होते हुए भी विज्ञान के दायरे में आती हैं।

अंत में, इन घटनाओं से यह स्पष्टीकरण मिलता है कि मृत्यु की पुष्टि के लिए केवल नब्ज देखने या अन्य तात्कालिक संकेतों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। मेडिकल टेक्नोलॉजी की मदद से हमेशा जांच प्रक्रिया को संतोषजनक साबित करना आवश्यक है। हकीकत यह है कि ऐसे मामलों में डॉक्टर्स की सतर्कता कई जीवन बचा सकती है।