राजस्थान के समृद्ध इतिहास और संस्कृतिक धरोहर को लेकर अभिनेता और कास्टिंग डायरेक्टर अभिषेक बनर्जी ने हाल ही में अपनी बातचीत में कई अहम बातें साझा कीं। अपनी माने जाने वाली फ़िल्मों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि ‘छावा’ जैसी फ़िल्मों की सफलता के बाद आने वाले सालों में राजस्थान के वीरों की गाथाओं पर विशाल फ़िल्में बनाई जाएंगी। राजस्थान की मिट्टी में न केवल ऐतिहासिक कहानियां समाहित हैं, बल्कि सिनेमा के लिए भी असली और रोचक कथाएं छिपी हुई हैं, जिन्हें सामने लाने की आवश्यकता है।
जयपुर में आईफा एवार्ड शो की मेज़बानी के अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए अभिषेक ने कहा कि इससे पहले उन्होंने आईफा रॉक्स दुबई में होस्टिंग का अनुभव लिया था, लेकिन जयपुर में इस साल का समारोह उनके लिए एक असाधारण अनुभव था। उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य दर्शकों को सम्मोहित करना और शो में मनोरंजन प्रदान करना था। राजस्थान की संस्कृति, खानपान और लोगों की खूबसूरती की तारीफ करते हुए अभिषेक ने इसे अपने पसंदीदा राज्यों में कुछ बताया और आईफा का 25वां साल मनाने के लिए जयपुर में होने की खुशी व्यक्त की।
अभिषेक का करियर एक कास्टिंग डायरेक्टर के रूप में शुरू हुआ और बाद में वह एक्टर बने। इस सफर में उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया लेकिन उन्होंने इसे संघर्ष नहीं माना। उनका कहना है कि उन्होंने अपने काम को समर्पित भाव से किया है और इसी कारण उन्हें बड़ी सफलता मिली। उन्होंने इंटरव्यू में कहा कि इंडस्ट्री ने उन पर विश्वास किया, जिसके चलते वे इस मुकाम तक पहुंचे हैं।
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता इरफान खान को याद करते हुए अभिषेक ने कहा कि उनकी प्रतिभा ने नई पीढ़ी को प्रेरित किया है। उनके जाने के बाद भी उनके काम की छाप इंडस्ट्री में बनी हुई है। इसके साथ ही उन्होंने अन्य जॉनर के बजाय कॉमेडी में छुपी चुनौती पर भी चर्चा की। वह मानते हैं कि कॉमेडी के अलावा वे मानव-नाटक और सामाजिक नाटक में भी अपनी क्षमता दिखाना चाहते हैं।
अभिषेक ने बतया कि हाल के वर्षों में भारतीय सिनेमा में स्पाई और हॉरर कॉमेडी जैसे नए जॉनर का उदय हुआ है। उन्होंने कहा कि दर्शक अब विभिन्न शैलियों के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें अपने मौलिक भूगोल और संस्कृति को ध्यान में रखकर फिल्में तैयार करनी चाहिए ताकि वे दर्शकों के दिलों में बस सकें। एक ऐसे सिनेमा की आवश्यकता है, जो केवल भव्यता न दिखाए, बल्कि अच्छी कहानी और संबंधित पात्रों के विकास पर ध्यान दे।
अंत में उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान की अनदेखी और अद्भुत संस्कृति के बारे में और कहानियां देखने को मिलनी चाहिए। इसलिए ऋतु बदलने के साथ, उन्हें उम्मीद है कि आने वाले वर्ष में ऐतिहासिक विषयों पर फिल्में उचित समर्थन के साथ विकसित होंगी। भारतीय सिनेमा में मौलिकता की बात करते हुए उन्होंने जोर दिया कि ओरिजिनल कहानियों पर ध्यान केंद्रित करने से ही उद्योग की प्रगति हो सकेगी।