दयानंद शेट्टी, जिन्हें हम सभी CID के इंस्पेक्टर दया के नाम से जानते हैं, का जीवन एक दिलचस्प सफर है। अपने टेलीविजन करियर में, उन्होंने न केवल अद्भुत अभिनय किया है, बल्कि उनकी सांस्थानिक जीवन यात्रा भी प्रेरणादायक है। दया का वास्तविक नाम दयानंद है और वह महज एक नाटक के किरदार नहीं, बल्कि एक दृढ़ नायक के रूप में पहचाने जाते हैं। अपने पुराने शो में उन्होंने दरवाजे को मुक्के से तोड़ने के अपने प्रयोग से दर्शकों का दिल जीत लिया। उनके कद-काठी के चलते बचपन में उन्हें क्लास में पीछे बैठाया जाता था और छोटी उम्र में ही कई मौकों पर वे अकेला महसूस करते थे।
शरुआत में, दया का जीवन सामान्य जीवन यापन से शुरू हुआ। उनके पिता होटल व्यवसाय में थे और उन्होंने भी कुछ समय होटल में काम किया। लेकिन एक दिन, जब वह अपने दोस्त के साथ एक ऐड एजेंसी में गए, तो उन्हें मॉडलिंग का प्रस्ताव मिला। इसके बाद उनकी किस्मत पलट गई। उनके लुक और व्यक्तित्व को देखकर डायरेक्टर रोहित शेट्टी ने उन्हें अपनी फिल्मों में पुलिस ऑफिसर का किरदार निभाने का मौका दिया। CID में उनकी भूमिका ने उन्हें स्थायी पहचान दिलाई और अब वे इसी किरदार में सीजन दो में भी दर्शकों के सामने हैं।
खेल के प्रति उनकी रुचि भी अद्भुत है। 1994 में, दया ने डिस्कस थ्रो में महाराष्ट्र का स्टेट लेवल चैंपियन बनने का गौरव प्राप्त किया। हालांकि, खेल में घुटने की समस्या के कारण उन्होंने इसे जारी नहीं रखा। उनके पिता ने उन्हें एथलेटिक्स की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि वे खुद एथलीट थे। यद्यपि भौतिकीय चुनौतियाँ थीं, उनके दृढ़ संकल्प ने उन्हें सफलता की ओर बढ़ाया।
जब उन्हें एक्टिंग का प्रस्ताव मिला, तो शुरुआत में उन्होंने इसे टालने की कोशिश की। लेकिन एक थिएटर शो में उनके काम की सराहना हुई और उन्हें CID के लिए ऑडिशन देने के लिए मजबूर किया गया। दिलचस्प बात यह थी कि पहले तो उन्हें अपने बोलने के तरीके को सुधारने की सलाह दी गई। आईपीसी के प्रोड्यूसर बीपी सिंह ने उन्हें समर्पण और मेहनत का पाठ पढ़ाया। उन्होंने अभिनय में कोई अनुभव नहीं होने के बावजूद, अपने पहले रोल को स्वीकार कर लिया।
CID में उनकी स्थायी भूमिका ने उन्हें ना केवल पहचान दिलाई, बल्कि लाखों दिलों में एक विशेष स्थान भी प्रदान किया। उनके अभिनय की विविधता ने उन्हें एक मजबूत किरदार के रूप में स्थापित किया। इसी बीच, एक चार साल का बच्चा, जो CID का प्रशंसक था, उनकी लोकप्रियता को और भी बढ़ा गया। दया का यह मानना है कि वह अपने किरदार से संतुष्ट हैं और टाइपकास्ट होने के डर से परे, वे अपनी पहचान के साथ खुश हैं। उनका कहना है कि जब तक लोग उन्हें उनके अदाकारी से पहचानते हैं, यह उनके लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है।
दया की कहानी हमें सिखाती है कि अगर आप अपने टैलेंट पर विश्वास करें और मेहनत करें, तो सफलता आपके दरवाजे पर दस्तक देगी। यही कारण है कि दया आज भी अपने आप को स्वाभाविक रूप से पुलिस अधिकारी के किरदार में दर्शाता है और अपने फैंस के दिलों में जगह बनाए हुए हैं।