लकवाग्रस्त हिस्ट्रीशीटर की साजिश: मजाक ने तोड़ी 10 साल की दोस्ती, हत्या और सुसाइड!

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राजस्थान के जयपुर में हुए अजय यादव हत्या कांड ने पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच खलबली मचा दी है। बनीपार्क इलाके में दिनदहाड़े हुए इस हत्या में अजय यादव, जो एक हिस्ट्रीशीटर था, को उसकी चाय की थड़ी पर गोली मारकर हत्या कर दिया गया। यह घटना बेहद सुनियोजित थी और हत्यारे मौके से आसानी से फरार हो गए। हत्या के दस दिन बाद पुलिस ने मामले में शामिल दो बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया, जबकि अन्य आरोपियों की पहचान पहले ही कर ली गई थी। पुलिस ने उक्त हत्याकांड से पहले अजय को खतरे के बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन उसने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

अजय यादव और मुकेश यादव की दोस्ती का इतिहास अनेकों विवादों से भरा रहा है। दोनों ने 2008 में दोस्ती प्रारंभ की थी और इससे जुड़े कई आपराधिक मामलों में भी सह-अभियुक्त थे। मुकेश पर हत्या और हत्या के प्रयास जैसी गंभीर धाराएं लगी थीं और उनकी दोस्ती के दौरान एक घटना ने सब कुछ बदल दिया। 2015 में अजय ने मुकेश की मदद से एक फायरिंग की घटना के आरोप में फरारी भरी थी। तय हुआ कि मुकेश उसकी मदद करेगा, लेकिन एक मजाक ने उनकी दोस्ती को तोड़ दिया। मुकेश फिर एक अन्य गैंग में शामिल हो गया और अजय से दूरी बना ली।

अजय और मुकेश के बीच भूमि विवाद बढ़ने लगा और इस विवाद की वजह से दोनों के बीच तकरार होने लगी। मुकेश और प्रदीप यादव ने मिलकर अजय के खिलाफ साजिश रचना प्रारंभ की। इस साजिश के तहत, मुकेश ने अपने गैंग के साथ मिलकर अजय की हत्या की पूरी योजना बनाई। प्रदीप यादव जो पहले से ही विवादित भूमियों के मामलों में शामिल था, ने इस साजिश में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद, दोनों गैंग ने अजय यादव पर हमला कर उसकी हत्या की योजना बनाई, जो अत्यंत क्रूरता के साथ अंजाम दी गई।

हत्या के बाद, मुकेश और उसके साथी फरार हो गए। पुलिस ने घटना के बाद CCTV फुटेज का अध्ययन किया और बदमाशों के हुलिए की पहचान की। इसके चलते पुलिस ने आपराधिक गतिविधियों में शामिल कई आरोपियों को गिरफ्तार किया। वहीं, दूसरी ओर, मुकेश यादव के आत्महत्या करने की खबर ने पूरे मामले को और चौंकाने वाला बना दिया। मुकेश की गिरफ्तारी को लेकर लेकर पुलिस ने कई शूटरों और गैंग में शामिल अन्य लोगों को पकड़ा। इसके बाद से यह केस अब अदालत में विचाराधीन है।

जयपुर में हुई इस हत्याकांड ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या अपराधियों की गतिविधियाँ अब भी सामाजिक सुरक्षा को चुनौति दे रही हैं? कई घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि आपराधिक तत्परता को समाप्त करने के लिए पुलिस को और अधिक सक्रिय रूप से कार्य करने की आवश्यकता है। अब यह देखना होगा कि अदालत इस मामले में क्या निर्णय लेती है और क्या सही न्याय सुनिश्चित किया जा सकेगा।