लखनऊ में स्थित निर्वाण आश्रय केंद्र में हाल ही में चार बच्चों की मृत्यु के मामले ने पूरे शहर में हड़कंप मचा दिया है। यह घटना 23 मार्च से 26 मार्च के बीच हुई, जब आश्रय केंद्र के बच्चों ने खराब खानपान और गंदे पानी के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना किया। सूचना के अनुसार, 20 से अधिक बच्चों की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। शुरुआती रिपोर्टों में कहा गया था कि कुछ बच्चों ने खाने के बाद उल्टी और दस्त की समस्याओं का सामना करना शुरू कर दिया था, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया। दुखद यह है कि इनमें से कुछ बच्चों की स्थिति इतनी गंभीर थी कि वे अपनी जान नहीं बचा सके।
प्रारंभ में, जिला प्रशासन ने इस मामले को छिपाने की कोशिश की, लेकिन जब मीडिया ने इस पर ध्यान केंद्रित किया, तो प्रशासन ने कार्रवाई की बात की। दैनिक भास्कर की एक टीम ने जब जांच की, तो पता चला कि आश्रय केंद्र में आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) सिस्टम केवल रसोई में स्थापित किया गया है, जो दिव्यांग बच्चों की पहुंच से दूर है। परिणामस्वरूप, बच्चे गंदा पानी पीने के लिए मजबूर हुए। यह स्थिति इस महत्वपूर्ण समय पर सामने आई है जब गर्मियों की शुरूआत हो चुकी है और बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है।
आश्रय केंद्र के कर्मचारियों ने बातचीत के दौरान स्वीकार किया कि उन्होंने खुद कभी भी वहां का पानी नहीं पीया है और बाहर से पानी लाकर पिया जाता है। इधर, केंद्र में बच्चों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता भी बेहद खराब थी, जिसमें उन्हें बासी खाना और खराब दही परोसा गया। इसके पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि बच्चों को पिछले एक वर्ष से पेट के कीड़ों की दवा नहीं दी गई थी और न ही नियमित स्वास्थ्य जांच की गई थी। ऐसे में खराब खानपान ने स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाला।
इस प्रकरण के बाद, लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल के निदेशक ने बताया कि मृत बच्चों के मामलों की गहन जांच की जाएगी। इस विषय पर एक तीन सदस्यीय डॉक्टरों की समिति का गठन किया गया है, जो बताएगी कि बच्चों की मृत्यु का असली कारण क्या था। इस पर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने अस्पताल जाकर भर्ती बच्चों की स्थिति का जायजा लिया और कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है, जिसकी तह तक जाना आवश्यक है।
यह घटना यह साबित करती है कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग के बच्चों के प्रति ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकार को बेहतर व्यवस्थाएं सुनिश्चित करनी होंगी ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों। अधिकारियों को चाहिए कि वे समय-समय पर इन आश्रय केंद्रों का निरीक्षण करें और बच्चों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए जरूरी कदम उठाएं। ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित और बेहतर हो सके।