संत रविदास जयंती के उपलक्ष्य में वाराणसी पहुंचे संत निरंजन दास
संत रविदास की जयंती मनाने के लिए श्रीगुरु रविदास जन्मस्थान पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन संत निरंजन दास सोमवार की शाम वाराणसी पहुंचे। पवित्र जयंती के अवसर पर उनकी पहुंचने वाली बेगमपुरा विशेष ट्रेन जालंधर से एक दिन पहले चलकर निर्धारित समय के बजाय देर शाम चार बजे वाराणसी के कैंट स्टेशन पर पहुंची। संत निरंजन दास का स्वागत वाराणसी में रविदासी समुदाय के लोगों ने फूलों के साथ किया। उनके साथ पंजाब पुलिस और सेवादारों की विशेष सुरक्षा व्यवस्था भी थी। इसके बाद, संत निरंजन दास को सीर स्थित संत रविदास मंदिर के लिए रवाना किया गया।
संत निरंजन दास के स्वागत के लिए सैकड़ों की संख्या में सेवादार पहले से ही मंदिर में तैयार थे, जहां 500 से ज्यादा एनआरआई और 2,500 साधु-संत भी शामिल हुए। ट्रेन से उतरते ही संत निरंजन दास को जयकारे के साथ अभिवादन किया गया। वह भी अन्य यात्रियों के साथ स्लीपर क्लास में ही यात्रा कर रहे थे, जिसमें 20 बोगियां थीं। वह फूलों से सजे वाहन में बैठकर भक्तों का अभिवादन करते हुए सीरगोवर्धन की ओर बढ़े।
सीरगोवर्धन पहुंचने पर संत निरंजन दास का स्वागत भव्य तरीके से किया गया। भक्तों ने हाथ जोड़कर उनका इंतजार किया और जयकारा लगाया। यहां, संत निरंजन दास ने सद्गुरु रविदास का पूजन किया। पूरे दिन में, हजारों भक्तों ने मंदिर में मत्था टेका और पूजा अर्चना की। यह मंदिर 648 साल पहले संत रविदास के जन्म के उपलक्ष्य में बना था। ट्रस्ट के प्रमुख निरंजन दास चीमा ने जानकारी दी कि संत रविदास के गुरु, डेरा संत सरवन दास जी महाराज ने इस मंदिर का निर्माण कराया था, जिसकी नींव 1965 में रखी गई थी।
इस मंदिर को वाराणसी का दूसरा गोल्डन टेम्पल कहा जाता है। निरंजन दास ने बताया कि मंदिर में 130 किलो सोने की पालकी और सोने के दीपक सहित कई अन्य स्वर्ण वस्तुएं हैं। मंदिर का गेट भी सोने से मंडित है, जो इसके भव्यता को और बढ़ाता है। संत रविदास के अनुयायियों से कहा गया है कि विदेशों से भी अधिक अनुयायी आने वाले हैं। अमेरिका, लंदन, ऑस्ट्रेलिया, दुबई, कनाडा, फ्रांस और थाईलैंड से भक्त पहले ही पहुंच चुके हैं, और सोमवार को और भक्त पहुंचने की उम्मीद है।
संत रविदास जयंती के अवसर पर सुरक्षा के इंतजाम भी काफी कड़े किए गए हैं। सीरगोवर्धनपुर में अस्थायी पुलिस चौकी खोली गई है और विभिन्न सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाई गई है, जिसमें महिला और पुरुष दरोगा, सिपाही और विशेष सुरक्षा बल शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, स्थान पर सुरक्षा के लिए 200 से अधिक सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं। संत मनदीप दास ने इस बात पर जोर दिया कि सभी अनुयायियों का स्वागत है और उनसे कहा गया है कि जो भी आना चाहे, उसे स्कॉट कर लेंगे, और लंगर की व्यवस्था अनवरत चल रही है। यह आयोजन एक ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है, जो संत रविदास के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है।