चंडीगढ़ में SKM की महत्वपूर्ण बैठक, खनौरी नेता गैरमौजूद, डल्लेवाल महापंचायत से करेंगे संबोधन!

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किसान आंदोलन 2.0 के तहत पंजाब और हरियाणा के शंभू और खनौरी सीमा पर चल रही किसान संघर्ष की एक सालगिरह में प्रवेश कर चुकी है। इस अवसर पर, 12 फरवरी को खनौरी सीमा पर एक भव्य किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। इस महापंचायत में, पिछले 78 दिनों से आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, उपस्थित किसानों को प्रेरित करते हुए, उनके सामने अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। इस वार्ता का उद्देश्य किसानों की 13 मांगों, जिसमें फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी भी शामिल है, को सरकार तक पहुंचाना है।

वहीं, दूसरी ओर चंडीगढ़ में शंभू और खनौरी मोर्चे से एकता प्रस्ताव पर संयुक्त किसान मोर्चा ने एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। इस बैठक का लक्ष्य 14 फरवरी को केंद्र सरकार के साथ होने वाली बैठक से पहले सभी किसानों को एक मंच पर संगठित करना है। हालांकि, खनौरी मोर्चे के किसान नेताओं ने इस मीटिंग में भाग लेने से इनकार कर दिया है और किसान महापंचायत पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही है। दूसरी ओर, शंभू मोर्चे के नेता बैठक में भाग लेने के लिए तैयार हैं। किसान नेता डल्लेवाल ने इस बैठक से पहले सभी नेताओं को महत्वपूर्ण तथ्यों का अध्ययन करने की सलाह दी है ताकि केंद्र सरकार के साथ बातचीत के दौरान कोई चूक न हो।

इस महापंचायत में भाग लेने के लिए डल्लेवाल ने लगातार किसानों को आमंत्रित किया है, और उनकी उम्मीद है कि आज महापंचायत में 50 हजार से अधिक किसान शामिल होंगे। शंभू मोर्चे पर, आज श्री गुरु रविदास का प्रकाश पर्व मनाया जाएगा, जिसमें किसान नेता सरवन सिंह पंधेर की अगुवाई में पहले चंडीगढ़ में एकता मीटिंग में हिस्सा लेंगे। इसके बाद वे खनौरी पहुंचेंगे। 11 फरवरी को किसानों ने फिरोजपुर में एसएसपी दफ्तर के घेराव में भी भाग लिया था, जिसमें उनका आरोप था कि 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के दौरान हुई सुरक्षा चूक के मामले में उन पर मुकदमा दर्ज किया गया है, जो पूरी तरह गलत है।

किसानों की रणनीति को तीन मुख्य बिंदुओं में विभाजित किया जा सकता है: पहले, आज चंडीगढ़ में आयोजित एसकेएम से एकता मीटिंग और खनौरी पर किसान महापंचायत का आयोजन होगा; दूसरे, 14 फरवरी को चंडीगढ़ के सेक्टर-26 में केंद्र सरकार के साथ किसान प्रतिनिधियों की बैठक होगी; तीसरे, यदि केंद्र सरकार की वार्ता आगे नहीं बढ़ती है या विफल होती है, तो किसान 25 फरवरी को दिल्ली की ओर कूच करेंगे। यह किसान आंदोलन की तीव्रता और एकता को दर्शाता है, जो उनकी मांगों को लेकर सरकार के प्रति उनका दृढ़ संकल्प दिखाता है।