हलाल सर्टिफिकेट को लेकर केंद्र सरकार की दलील हास्यास्पदः जमीयत उलेमा-ए-हिंद
नई दिल्ली, 25 फरवरी (हि.स.)। यूपी में हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पादों पर बैन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि वो सीमेंट या लोहे के छड़ों का हलाल सर्टिफिकेट जारी नहीं करता है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा है कि केंद्र सरकार की दलील हास्यास्पद है।
जमीयत ने हलफनामे में कहा है कि हलाल को रोजाना की जिंदगी की मौलिक जरूरत के रूप में जाना गया है। संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत भारत की बड़ी आबादी के धार्मिक विश्वास और रीति रिवाज को संरक्षण प्राप्त है। जमीयत ने साफ कहा है कि उसने लोहे की छड़ों या सीमेंट का हलाल सर्टिफिकेट जारी नहीं किया है। हलफमाने में कहा गया है कि खाने का प्रकार और उसमें निहित पदार्थों का चुनाव हर व्यक्ति का अधिकार है।
बतादें कि 20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। 20 जनवरी को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि मैं तो यह जानकार हैरान हो गया था और आप भी हैरान हो जाएंगे कि सीमेंट के लिए हलाल सर्टिफिकेट होता है। आटा, बेसन और यहां तक कि पानी की बोतल सब हलाल सर्टिफाइड किया जाता है। इस सर्टिफिकेशन से लाखों करोड रुपये की इनकम होती है।
दरअसल, चेन्नई के हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और महाराष्ट्र जमीयत उलेमा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर उत्तरप्रदेश में हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पादों की बिक्री पर रोक और हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाली संस्थाओं पर दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की गई है। याचिका में याचिकाकर्ताओं ने अपने खिलाफ यूपी में दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की गई है। इस मामले मे यूपी पुलिस ने नवंबर 2023 में हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी समेत कई संस्थाओं के खिलाफ फर्जी हलाल सर्टिफिकेट बांटने के आरोप में एफआईआर दर्ज किया है। इन पर आर्थिक मुनाफा हासिल करने के लिए लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए 5 जनवरी 2024 को यूपी सरकार को नोटिस जारी किया था।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
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