भारत रत्न की मांग और बीजेपी पर बरसीं चन्नी: अंबेडकर बेअदबी और भगदड़ का ठहराया दोषी!

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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और जालंधर से सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने हाल ही में संसद में चल रहे बजट सत्र के दौरान एक अहम मुद्दा उठाया। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को भारत रत्न देने की मांग की। चन्नी ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान भारत ने जो तरक्की की, उसे ध्यान में रखते हुए उन्हें यह सम्मान दिया जाना चाहिए। चन्नी का मानना है कि यह सम्मान उन्हें अपने कार्यकाल के समाप्त होने पर नहीं मिल सका, और इसीलिए अब समय आ गया है कि उन्हें भारत रत्न दिया जाए।

सांसद चन्नी ने जालंधर के स्थानीय मुद्दों पर भी चर्चा की, जिसमें शहर के बाईपास और विकास की बात शामिल थी। उन्होंने कुंभ मेले के दौरान हुई भगदड़ का मुद्दा भी उठाया, जिसमें उन्होंने इसे प्रबंधन की कमी का नतीजा बताया। चन्नी ने यह भी कहा कि सरकार को संसद में इसको लेकर माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि यह एक गंभीर घटना थी और इससे कई लोगों का जीवन प्रभावित हुआ।

इसके अलावा, उन्होंने हाल ही में अमृतसर में डॉ. भीम राव अंबेडकर की बेअदबी के मामले पर भी चर्चा की। चन्नी ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस शर्मनाक घटना के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर केवल दलितों के लिए नहीं, बल्कि सभी जातियों के लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। उनका मानना है कि भाजपा की नीतियां केवल विभाजन की राजनीति को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे देश में नफरत फैली हुई है।

चन्नी ने गृहमंत्री अमित शाह पर भी तीखा प्रहार किया, यह कहते हुए कि जब देश के गृहमंत्री खुद डॉ. अंबेडकर के बारे में गलत बातें करते हैं तो यह लोगों को भड़काने का काम करता है। उन्होंने एक घटना का जिक्र किया, जब एक व्यक्ति ने अमृतसर में अंबेडकर की प्रतिमा को तोड़ने का प्रयास किया, यह सारी स्थिति देश में बढ़ते हुए नफरत के माहौल का परिणाम है।

भाजपा के सदस्यों ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि उनके द्वारा जांच के लिए शिष्टमंडल भेजा गया था और आरोप लगाया कि इस घटना के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस जिम्मेदार हैं। इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच काफी गहमागहमी हुई, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि राजनीति में इस प्रकार के संवेदनशील मुद्दों का गहरा प्रभाव है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहेगा।

इस प्रकार, चन्नी ने न केवल डॉ. मनमोहन सिंह की गरिमा की बात की, बल्कि देश में बढ़ती असहिष्णुता और राजनीति के विभाजन के खिलाफ भी अपनी आवाज उठाई। उनका यह कदम न केवल पंजाब के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण संदेश है कि हम सबको एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है।