अमेरिका में नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। प्रशासन ने अवैध तरीके से अमेरिका में प्रवेश करने वाले लोगों को उनके देशों में वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस पहल के अंतर्गत कई भारतीय नागरिक भी शामिल हैं, जिनमें से 205 भारतीयों को अमेरिका से डिपोर्ट किए जाने की तैयारी है। अमेरिकी मिलिट्री का C-17 विमान मंगलवार को सैन एंटोनियो से अमृतसर के लिए रवाना हुआ, और इसकी अपेक्षित लैंडिंग अमृतसर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर बुधवार सुबह लगभग 9 बजे होगी।
अमृतसर जिला प्रशासन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, हालांकि अभी तक इन 205 भारतीयों को डिटेन करने का कोई आधिकारिक आदेश नहीं आया है, लेकिन अमृतसर एयरपोर्ट पर इन सभी का दस्तावेजों का सत्यापन किया जाएगा। ये सभी प्रवासी इमिग्रेशन चेकिंग के तहत विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरेंगे, जिसमें उनके बैकग्राउंड, खासकर क्रिमिनल रिकॉर्ड का जांच करना शामिल है। यदि किसी का क्रिमिनल रिकॉर्ड पाया गया, तो उसे एयरपोर्ट पर ही हिरासत में लिया जा सकता है। इस पूरी प्रक्रिया में समय लग सकता है, और अधिकारियों ने इसे सहयोगात्मक तरीके से करने की योजना बनाई है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने जानकारी दी है कि अमेरिका में इस समय 538 अवैध प्रवासियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से कुछ संदिग्ध आतंकवादी भी हैं। लेविट ने कहा कि यह अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है, लेकिन 205 भारतीयों के डिपोर्टेशन पर कोई विशेष जानकारी साझा नहीं की गई। इसके आगे, अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि वे इस तरह की उड़ानों से संबंधित कोई और विवरण प्रदान नहीं कर सकते हैं।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय, पेंटागन ने टेक्सास के एल पासो और कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में हिरासत में रखे गए 5,000 से अधिक अप्रवासियों के देश वापस भेजने के लिए सेना के विमान की सुविधा उपलब्ध कराई है। इस प्रक्रिया में ग्वाटेमाला, पेरू और होंडुरास के प्रवासी भी शामिल हैं, जिन्हें पहले ही अमेरिका से वापस भेजा जा चुका है। यह कदम अमेरिका में अवैध प्रवासियों की संख्या को कम करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।
इस प्रकार, अमेरिका में अवैध प्रवासियों के खिलाफ चल रही यह कार्रवाई एक महत्वपूर्ण विषय बन गई है। इससे न केवल उन प्रवासियों पर असर पड़ेगा, जो अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे थे, बल्कि यह अन्य देशों के नागरिकों के लिए भी एक चेतावनी के रूप में सामने आएगी। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे की परिस्थितियां क्या रूप लेंगी और क्या भारत सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाएगी।