अभिनेता के साथ सनातनी भी हूँ : विद्युत जामवाल

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अभिनेता के साथ सनातनी भी हूँ : विद्युत जामवाल

महाकुम्भ, 13 फ़रवरी (हि.स.)। बॉलीवुड फिल्म अभिनेता विद्युत जामवाल ने गुरुवार को संगम में अपनी मां के साथ आस्था की डुबकी लगाई।

उन्होंने कहा कि मां का सपना था कि महाकुम्भ में संगम में डुबकी लगाएं। वैसे तो पेशे से एक्टर होने के नाते बहुत रोल अदा करता हूं, लेकिन अंत में मैं एक सनातनी भी हूं।

उन्होंने कहा कि कुंभ में करोड़ों की तादाद में लोगों के आने के बावजूद भी जिस तरीके से सरकार ने व्यवस्था की है, इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। देश दुनिया से लोग यहां आकर अपने आप को बहुत खुश महशुस कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अखाड़े में कोई भेदभाव नहीं है। कोई जाति-पांति, ऊंच-नीच नहीं है, सब एकनिष्ठ व समरस हैं। कहा कि कुंभ आने का एक ही मकसद मां के सपनों को साकार कर यहां पर शंखनाद करना था।

महाकुम्भ में प्राणायाम होती है, लेकिन शंखनाद भी प्राणायाम है, जो हर तरह की प्राणायाम को करवाती है। आपकी सांसों को संयम में रखती है, आजकल लोगों में सांसों की बीमारियां ज्यादा हो रही है। साथ में मेंटल स्ट्रेस बहुत ज्यादा देखा जा रहा है। शंखनाद एक ऐसी चीज है जो सारा प्राणायाम करवा देती है।

उन्होंने कहा कि महाकुंभ में समुद्र मंथन के दौरान भी शंखों की बात की जाती है तो यहां नहीं शंखों की बात होगी तो कहां होगी। विज्ञान में भी बताया है कि हृदय की धड़कन और सांसों को संयम में लाने के लिए शंखनाद करना चाहिए।

अखाड़े को योद्धाओं के बारे में कहा कि इन लोगों की जो तपस्या है वह सिर्फ सांसों को संयम में रखने के साथ-साथ इच्छा शक्ति प्रबल होती है। पेशे से अभिनेता होने के साथ सनातनी भी हूं। देश के युवाओं के लिए यही संदेश है कि वह अपनी मां, देश तथा धर्म के लिए हमेशा तत्पर रहे। उन सभी सभी के प्रति युवाओं की जिम्मेदारी है। कहा कि योग हिंदुस्थानी परंपरा का ही अंग है। 1850 में जब अंग्रेज आए थे तब उन लोगों को लगा कि भारतीय आलसी हैं लेकिन अब समय आ गया है जब विवेकानंद जी ने योग को पूरा दुनिया तक पहुंचा। अब समय आ गया है कि अपनी जिम्मेदारियां को पूरा करें।

उन्होंने बताया कि मैं योग और मार्शल आर्ट दोनों विद्या का जानकार हूं। शुद्ध शाकाहारी हूँ, साथ ही सनातनी हूं इसीलिए हमेशा शंख लेकर चलता हूं।

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