पंजाब के कपूरथला के भुलत्थ क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के विधायक सुखपाल सिंह खैहरा के लिए एक महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले का समय आया है। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दाखिल की गई जमानत रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया। इस बारे में विधायक खैहरा ने स्वयं एक वीडियो संदेश के माध्यम से जानकारी साझा करते हुए कहा कि उन्हें इस फैसले की जानकारी मिलते ही खुशी हुई।
खैहरा ने बताया कि यह मामला राजनीति से प्रेरित था, जो 2022 में उनके खिलाफ दायर किया गया था। उन्होंने ईडी पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस एजेंसी को करोड़ों रुपये के गबन करने वालों की तलाश करनी चाहिए, न कि राजनीतिक प्रतिशोध के तहत आम लोगों को परेशान करना चाहिए। उन्होंने तुरन्त अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वर्ष 2021 में उनके घर पर ईडी का छापा पड़ा था और उन्हें चुनावों से पहले अरेस्ट करके पटियाला जेल भेजा गया था। हालांकि, बाद में हाईकोर्ट से उन्हें नियमित जमानत मिली थी।
सुखपाल सिंह खैहरा ने टिप्पणियाँ करते हुए कहा कि ईडी की कार्रवाईयां लगातार उन्हें डराने के लिए की जा रही थीं ताकि उन्हें फिर से जेल भेजा जा सके। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सत्य में शक्ति होती है और उन्होंने खुद को निर्दोष बताया। विधायक ने यह भी कहा कि यह फैसला भगवान की कृपा से हुआ है, जिसने उन्हें इस कठिनाइयों से उबरने का सौभाग्य दिया।
इस बीच, खैहरा ने मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार की ओर भी इशारा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि उनके खिलाफ भी एक मामला दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले में भी निचली अदालत की कार्रवाई पर रोक लगाई। उन्होंने इस पर चिंता जताई कि किस प्रकार राजनीति में लोगों को निशाना बनाया जाता है और किस तरह से ईडी का दुरुपयोग हो सकता है।
यह घटनाक्रम पंजाब की राजनीति में एक नया मोड़ दे सकता है। खैहरा का यह बयान और सुप्रीम कोर्ट का फैसला, दोनों ही पंजाब में राजनीतिक हलचल को बढ़ावा देने का काम करेंगे। विधायक खैहरा की स्थिति को देखते हुए उनके समर्थकों में भी जोश और उमंग देखने को मिल सकता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में आगे क्या विकास होते हैं और कांग्रेस पार्टी इस संदर्भ में अपनी आगे की रणनीति क्या अपनाती है।