सरफेसी एक्ट की लोन वसूली में हस्तक्षेप से इनकार
-जमा करने के लिए अतिरिक्त तीन महीने की मांग में दाखिल याचिका खारिज
प्रयागराज, 31 जनवरी (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि यदि नीलाम सम्पत्ति को खरीदने वाला नियत समय में पूरी राशि जमा करने में नाकाम रहता है और अतिरिक्त समय की मांग को लेकर न्यायालय आता है तो सामान्यतया न्यायालय या अधिकरण को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि त्वरित ऋण वसूली के लिए ही सरफेसी एक्ट लाया गया है, वसूली में व्यवधान सही नहीं होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा एवं न्यायमूर्ति डॉ वाई के श्रीवास्तव की खंडपीठ ने गोरखपुर के अनिल पाठक व एक अन्य की याचिका पर दिया है।
इसी के साथ कोर्ट ने 75 फीसदी बकाया नीलामी राशि बैंक लोन पास न होने के कारण समय से जमा न कर पाने पर तीन महीने का अतिरिक्त समय की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। याची ने मकान नंबर 24 आवास विकास कालोनी बेतियाहाता गोरखपुर को एक करोड़ 20 लाख की नीलामी में लिया। इसके लिए 25 फीसदी राशि जमा की गई और शेष राशि जमा करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया।
याची ने बैंक से लोन मांगा लेकिन नहीं मिला तो उसने बकाया राशि जमा करने के लिए तीन महीने का समय मांगा, जिसे अस्वीकार करते हुए पुनर्नीलामी की तिथि घोषित की गई। याचिका में इसे चुनौती दी गई थी लेकिन कोर्ट ने हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।
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