लुधियाना में कुत्ते के काटने से छात्र की मौत, ग्रामीणों का गुस्से में सड़क जाम!

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लुधियाना जिले के हसनपुर गांव में आवारा कुत्तों ने एक बार फिर से एक मासूम की जीवनलीला समाप्त कर दी। इस बार 11 वर्षीय हरसुखप्रीत सिंह, जो कि 5वीं कक्षा का छात्र था, खेतों के नजदीक खेलते समय इन जानवरों के हमले का शिकार बन गया। कुत्तों ने उसे बुरी तरह से नोच डाला, जिससे बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई। यह घटना गांव के निवासियों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है, और यह दर्शाता है कि आवारा कुत्तों का आतंक रुकने का नाम नहीं ले रहा है। पहले जहां बुजुर्ग लोग इन जानवरों के हमलों का शिकार होते थे, वहीं अब बच्चों की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है।

अभी हाल ही में, इस त्रासदी के बाद, ग्रामीणों ने लुधियाना-फिरोजपुर मुख्य मार्ग पर धरना देकर अपनी नाराजगी जताई। ये प्रदर्शन पिछले एक सप्ताह में हुई दूसरी ऐसी घटना के विरोध में था, जब एक प्रवासी परिवार के बच्चे को भी कुत्तों के हमले में अपनी जान गवानी पड़ी थी। ग्रामीण बेहद आक्रोशित हैं और उनका मानना है कि स्थानीय प्रशासन आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक को गंभीरता से नहीं ले रहा है। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सड़क को जाम कर दिया और तत्काल कार्रवाई की मांग की।

गांव में आक्रोशित लोग लगातार हो रही ऐसी घटनाओं के प्रति प्रशासन की चुप्पी से बेहद परेशान हैं। उनका कहना है कि प्रशासन ने दो मासूम बच्चों की जान जाने के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या ने न केवल लोगों के लिए सुरक्षा का खतरा पैदा किया है, बल्कि बच्चे और महिलाएं भी अब घर से बाहर निकलने से डरने लगे हैं। इस स्थिति को लेकर गांव में चिंता का माहौल बना हुआ है।

ग्रामीणों द्वारा की गई इस धरने के दौरान यह भी कहा गया कि अगर प्रशासन ने जल्दी ही इस मुद्दे पर कार्रवाई नहीं की तो वे और भी अधिक सख्त कदम उठाने को मजबूर होंगे। लोगों ने यह भी मांग की कि आवारा कुत्तों के खिलाफ कोई ठोस योजना बनाई जाए और कुत्तों को पकड़कर सुरक्षित स्थानों पर भेजने की व्यवस्था की जाए। इस तरह की घटनाओं को टालने के लिए जरूरी है कि स्थानीय प्रशासन इन समस्याओं के हल में तत्परता दिखाए, ताकि भविष्य में ऐसे tragic हादसे न हों।

इस समय पूरे गांव में गुस्सा और भय का माहौल है। बच्चे स्कूल जाने में डर रहे हैं और महिलाएं घर से बाहर निकलने में असमर्थ हैं। ऐसे में सरकार और जिम्मेदार अधिकारियों को इस गंभीर समस्या के प्रति सजग रहना होगा और त्वरित कार्रवाई करनी होगी ताकि गांव के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।