पंजाब के अबोहर में एक 70 वर्षीय विधवा महिला, शीला देवी, को उनके बेटे और बहू ने बेरहमी से पीटा। रामदेव नगरी की निवासिनी शीला देवी, जो अपने जीवन की रोजी-रोटी मजदूरी कर हासिल करती हैं, को उनके बड़े बेटे और बहू माया रानी ने कमरे में बंद कर मारपीट का शिकार बनाया। यह घटनाक्रम 14 जनवरी की रात हुआ, जब मकान की अतिरिक्त चाबी की मांग को लेकर एक विवाद ने हिंसक रूप धारण कर लिया। शीला देवी का कहना है कि उनकी बहू एक ब्यूटी पार्लर में काम करती हैं और देर से घर लौटती हैं। घर में केवल एक ही चाबी होने के कारण, शीला को अक्सर पड़ोसियों के पास इंतजार करना पड़ता था, जिस कारण उन्होंने दूसरी चाबी की मांग की। लेकिन इस मांग के बाद, बेटे और बहू ने उन पर हमला कर दिया।
मारपीट का ये दृश्य इतना भयानक था कि शारीरिक उत्पीड़न के परिणामस्वरूप शीला देवी की हालत बहुत खराब हो गई और उनका पेशाब भी निकल गया। पड़ोसियों ने महिला की चीख-पुकार सुनकर उन्हें बचाया और तुरंत पुलिस को सूचना दी। फिलहाल, शीला देवी अस्पताल में उपचाराधीन हैं। इस मामले की जड़ में संपत्ति विवाद भी है, क्योंकि योजनाबद्ध तरीके से बेटे ने मकान का आधा हिस्सा छोटे भाई को दे दिया है, जबकि खुद अपनी पत्नी के साथ बाकी हिस्से में रहता है। यह वही हिस्सा है जहां शीला देवी भी निवास करती हैं।
पड़ोसियों द्वारा महिला के चेहरे से खून निकलते देख, उन्हें 112 हेल्पलाइन पर सूचना देने में देरी नहीं की गई। जिसके चलते पुलिस टीम काफी जल्दी मौके पर पहुंची और मामले की तहकीकात में जुट गई। इसके बाद पुलिस ने शीला देवी को अस्पताल में भर्ती करवा दिया। वहीं, अस्पताल में शीला की बहू, माया देवी, का कहना है कि उसकी सास अक्सर पड़ोसियों के बहकावे में आकर उन्हें तंग करती हैं। उसने यह भी बताया कि पिछले साल में तीन बार पुलिस पंचायतें हो चुकी हैं, जिसमें शिकायतें दर्ज की गई हैं।
माया देवी ने आरोप लगाते हुए कहा कि पड़ोसी इस स्थिति का नाजायज फायदा उठाकर उन्हें भड़काने में लगे हुए हैं और वह चाहते हैं कि शीला देवी इस मकान को छोड़कर चली जाएं। उसने यह भी बताया कि कल एक बार फिर से उसकी सास ने पड़ोसियों के बहकावे में आकर उनसे मारपीट की, जिसके परिणामस्वरूप उसके पति ने उसे बचाने की कोशिश की। इस मामले को लेकर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और शीला देवी को न्याय दिलाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। यह घटना न केवल पारिवारिक कलह को दर्शाती है, बल्कि यह समाज में बढ़ती हिंसा और बुजुर्गों के प्रति बढ़ते असम्मान को भी उजागर करती है, जिसे समाप्त करने की आवश्यकता है।