फतेहाबाद में  बरसात से बढ़ी ठंड, दिनभर नहीं हुए सूर्यदेव के दर्शन

Share

फतेहाबाद में  बरसात से बढ़ी ठंड, दिनभर नहीं हुए सूर्यदेव के दर्शन

फतेहाबाद, 23 दिसंबर (हि.स.)। फतेहाबाद में सोमवार अलसुबह से शुरू हुई हलकी बरसात ने ठंडक को बढ़ा दिया है। दोपहर तक हलकी बूंदाबांदी चलती रही और दिनभर सूर्यदेव के दर्शन नहीं हुए। सोमवार को फतेहाबाद का न्यूनतम तापमान 6 डिग्री रहा वहीं अधिकतम तापमान 15 डिग्री दर्ज किया गया है। यह बारिश गेहूं, सरसों आदि रबी फसलों के लिए काफी फायदेमंद मानी जा रही है। हालांकि कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पाला पड़ता है तो यह फल व पत्तेदार सब्जियों के लिए घातक होगा वहीं इससे सरसों को भी नुकसान होगा। फतेहाबाद जिले में इस समय 18 हजार 500 हैक्टेयर क्षेत्र में सरसों की बिजाई की गई है। मौसम विभाग के मुताबिक 24 दिसंबर के बाद 26 तक मौसम खुश्क रहेगा। ठंड बढऩे के साथ ही पशुपालन विभाग ने पशुओं को लेकर एडवाइजरी भी जारी कर दी है। पशुपालन एवं डेरिंग विभाग के उप निदेशक डॉ. सुखविंद्र सिंह ने बताया कि जिला में शीतलहर से पशुओं के बचाव हेतू पशुपालन एवं डेरिंग विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। शीत लहर में पशुओं का तापमान कम हो जाता है व सांस लेने तकलीफ होने लगती है। इसके अतिरिक्त खांसी व निमोनिया जैसी बीमारियां होने लगती है जिसके कारण पशु खाना पीना छोड़ देते हैं व दूध उत्पादन भी कम हो जाता है। शीत लहर से बचाव करके इन बीमारियों से पशुओं को बचाया जा सकता है। कमजोर व नवजात पशुओं पर शीत लहर का प्रभाव ज्यादा पड़ता है। शीत लहर से बचाव के लिए पशुओं को उचित खुराक, गुड़ व मिनरल मिश्रण अवश्य देना चाहिए। उन्होंने बताया कि धूप निकालने पर ही पशुओं को बाहर निकाले तथा पशुओ पर कंबल इत्यादि डाल कर रखे। यदि पशुओं में ठंड के कोई लक्षण दिखाई दे तो तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें। उन्होंने बताया कि शीत लहर से बचाव हेतु पशुपालकों को अतिरिक्त सावधानियां बरतनी चाहिए। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि सभी पशुओं को कृमिनाशक दवाईयां दिलवाई जाए, गुड़ व खनिज मिश्रण नियमित तौर पर देते रहे, पशुओं को नहलाने के लिए गर्म व गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें, पशुओं के बैठने के स्थान को सूखा रखे, पशुओं के टीन शेड को पराली से ढक कर रखे, धूप निकलने पर ही पशुओं को बाहर निकाले, नवजात पशुओं को रात के समय बोरी या तिरपाल से ढक कर रखे, पोल्ट्री फार्म को कृत्रिम रोशनी द्वारा गर्म रखे तथा पशुओं को खुले स्थान पर ना घुमने दें।