अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल शनिवार को फतेहगढ़ साहिब में सजा के तहत धार्मिक सेवा में शामिल हुए। यह सेवा से जुड़ी उनकी यात्रा अमृतसर के स्वर्ण मंदिर और श्री केशगढ़ साहिब में दो-दो दिन की सजा पूरी करने के बाद शुरू हुई। इसी दौरान, एक कट्टरपंथी समूह, दल खालसा ने नारायण सिंह चौड़ा का समर्थन किया, जिसने सुखबीर बादल पर गोली चलाने का आरोप लगाया था। दल खालसा के नेता परमजीत सिंह मंड ने अपने समर्थकों के साथ अकाल तख्त सचिवालय में एक मांगपत्र पेश किया, जिसमें चौड़ा के समर्थन में बात की गई है। उल्लेखनीय है कि जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह उस समय वहां मौजूद नहीं थे, जिसके चलते उन्हें मांगपत्र नहीं सौंपा जा सका। लेकिन मंड ने इस मांगपत्र को अकाल तख्त साहिब पर चिपका दिया।
परमजीत सिंह मंड ने स्पष्ट किया कि यह मांगपत्र नारायण सिंह चौड़ा के पक्ष में है, जो उनकी पगड़ी को सरेआम उतारे जाने के विरोध में है। उन्होंने कहा कि चौड़ा की तरफ से की गई गोलीबारी का असली कारण केवल वे ही बता सकते हैं, लेकिन उनका मुख्य मांग तो यह है कि पगड़ी उतारने वाले आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की जाए। चौड़ा की पगड़ी उस समय उतारी गई, जब वह पुलिस के गिरफ्त में थे। सुखबीर बादल को 13 दिसंबर तक अपनी सजा पूरी करनी है, जिसके बाद वह श्री फतेहगढ़ साहिब से श्री दमदमा साहिब और श्री मुक्तसर साहिब में भी धार्मिक सेवा का कार्य करेंगे।
स्वर्ण मंदिर में हुए हमले के बाद अब अकाली दल और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) सक्रिय हो गई है। SGPC के सदस्यों ने नारायण सिंह चौड़ा को सिख समुदाय से निकालने की मांग की है। SGPC की अंतरिम कमेटी पिछले दिनों जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह से मिली और उन्होंने 4 दिसंबर को गोल्डन टेंपल में गोली चलाने वाले चौड़ा के खिलाफ पंथ से निकालने की मांग की। इसी क्रम में, SGPC अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने 9 दिसंबर को एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें सुखबीर बादल पर हुए हमले के बारे में चर्चा की जाएगी।
फतेहगढ़ साहिब में सुखबीर बादल की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उनको चारों ओर से पुलिस द्वारा घेर लिया गया और आम लोगों को उनसे दूर रखा गया। एक घंटे तक वे सेवादार का चोला पहनकर धार्मिक कीर्तन सुनते रहे और बर्तन भी साफ किए। उनकी धार्मिक सेवा की अवधि 13 अप्रैल तक चलेगी। इस बीच, श्री अकाल तख्त साहिब ने सुखबीर बादल और उनके जैसे अन्य नेताओं के दिए गए इस्तीफों को मंजूरी देने का आदेश दिया है। हालांकि, अकाली दल ने अपनी सजा के कारण इसे मंजूर करने के लिए समय मांगा है, जिसे मंजूर कर लिया गया है।
इस बीच, नारायण चौड़ा की पगड़ी को उतारे जाने के मामले में विवाद गहरा गया है। सुखबीर बादल पर गोली चलाने के बाद पुलिस ने चौड़ा को गिरफ्तार किया, और इस दौरान अकाली दल के समर्थकों ने उनकी पगड़ी को उतार दिया। चौड़ा के परिजनों ने इस कार्रवाई के खिलाफ विरोध दर्ज किया है, जबकि अकाली दल इसे गोलाबारी की घटना का एक परिणाम मानते हुए इसे मुद्दा नहीं बनाने की बात कह रहा है। इस प्रकार, पगड़ी के उतारे जाने के इस मामले ने अब और भी व्यापक विवाद को जन्म दिया है।