मानसा में हंगामा: स्कूल सुरक्षा में तैनात पूर्व सैनिकों का वेतन क्यों लटका?

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पंजाब के मानसा जिले के सरकारी स्कूलों में सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रहे पूर्व सैनिकों ने आज जिला कचहरी के बाहर जिला शिक्षा अधिकारी के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इन पूर्व सैनिकों का आरोप है कि उन्हें समय पर वेतन नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति प्रभावित हो रही है। उनका कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारी की लापरवाही के कारण उनकी हाजिरी को समय पर चंडीगढ़ नहीं भेजा जा रहा है, जिससे वेतन में देरी हो रही है।

विरोध प्रदर्शन में शामिल पूर्व सैनिकों ने बताया कि पंजाब सरकार ने सरकारी स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए उन्हें तैनात किया है। इसके लिए वेतन का भुगतान चंडीगढ़ के पेप्सू द्वारा किया जाता है, लेकिन मानसा जिले के हालात इसके विपरीत हैं। प्रदर्शन कर रहे तत्कालीन पूर्व सैनिकों कुलदीप सिंह, जगर सिंह, जगतार सिंह और बलविंदर सिंह ने कहा कि अन्य जिलों में सुरक्षा कर्मियों को समय पर वेतन मिलता है, लेकिन मानसा में स्थिती बिलकुल भिन्न है।

इससे पहले, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पंजाब के अन्य जिलों के शिक्षा अधिकारी नियमित रूप से अपनी रिपोर्ट चंडीगढ़ को भेजते हैं, लेकिन मानसा के शिक्षा अधिकारी इस प्रक्रिया में खलल डाल रहे हैं। यह देरी न केवल उनके वेतन में समस्या उत्पन्न कर रही है बल्कि उनके परिवार की बुनियादी जरूरतों पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। प्रदर्शनकारियों ने इस विषय को गंभीरता से लेते हुए चेतावनी दी कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान जल्दी नहीं किया गया, तो वे जिला शिक्षा अधिकारी के खिलाफ अपना विरोध और तेज करेंगे।

पूर्व सैनिकों ने यह भी कहा कि उन्हें अपने देश की सेवा का गर्व है, लेकिन आर्थिक अस्थिरता के कारण उनकी गरिमा को ठेस पहुँच रही है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द उनकी हाजिरी को चंडीगढ़ में भेजा जाए ताकि उनका वेतन समय पर मिल सके। उन्होंने इस मुद्दे को केवल अपने लिए नहीं, बल्कि सभी पूर्व सैनिकों के लिए महत्वपूर्ण बताया है, जो अपने देश के प्रति अपनी निष्ठा और प्रतिबद्धता के चलते सुरक्षा में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

इस विरोध प्रदर्शन ने यह स्पष्ट किया है कि सरकारी तंत्र में कमी और प्राथमिकताओं का अभाव किस प्रकार उन व्यक्तियों को प्रभावित कर रहा है जो देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। अब सभी की नजरें इस विवाद के समाधान पर टिकी हुई हैं, ताकि पूर्व सैनिकों को जल्द से जल्द उनके हक का वेतन मिल सके और उनकी गरिमा को बनाए रखा जा सके।