पंजाब में निकाय चुनावों की तैयारी को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों में हलचल तेज हो गई है। इनमें कांग्रेस पार्टी भी शामिल है, जिसने चुनाव की तैयारियों को लेकर रणनीति बनाना आरंभ कर दिया है। कांग्रेस ने प्रदेश स्तर पर एक स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया है, इसके साथ ही राज्य के पांच नगर निगमों के लिए भी अलग-अलग स्क्रीनिंग कमेटियां बनाई गई हैं। इन कमेटियों में पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री, सांसद और विधायक शामिल हैं, जिनको जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
पंजाब में कुल पांच नगर निगमों और 43 नगर परिषदों के लिए चुनाव होने हैं। कांग्रेस द्वारा बनाई गई प्रदेश स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी में कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु के साथ-साथ जेल में बंद साधु सिंह धर्मसोत को भी शामिल किया गया है। इस टीम में युवा नेताओं को भी जगह दी गई है, जिनमें पंजाब यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अमरप्रीत सिंह लैली और एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष ईशरप्रीत सिंह शामिल हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि पार्टी युवा नेताओं को अपनी रणनीति में शामिल करने में रुचि रखती है।
स्क्रीनिंग कमेटियों को विभिन्न नगर परिषदों के लिए अनुशासन और चुनावी रणनीति बनाने का कार्य सौंपा गया है। इसके तहत, प्रत्येक नगर परिषद के लिए निर्धारित 43 सदस्यों की स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी में कई प्रमुख नेता शामिल हैं, जैसे कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, सीएलपी लीडर प्रताप सिंह बाजवा, और पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी। इन नेताओं की मौजूदगी से पार्टी की चुनावी ताकत का आभास होता है।
नगर निगमों के लिए भी अलग-अलग कमेटियां बनाई गई हैं, जिनके अध्यक्ष और सदस्यों की सूची भी तैयार की गई है। उदाहरण के लिए, अमृतसर नगर निगम की कमेटी में तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा को चेयरमैन बनाया गया है, वहीं लुधियाना नगर निगम में राणा कंवर पाल सिंह को जिम्मेवारी दी गई है। प्रत्येक नगर निगम के लिए विशेष टीमों का गठन इस बात का प्रमाण है कि कांग्रेस पार्टी हर स्थान पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है और चुनावी सफलता के लिए सजग है।
चुनाव संभावित रूप से न केवल स्थानीय मुद्दों पर बल्कि क्षेत्रीय विकास और नागरिक कल्याण के विषयों पर भी केंद्रित होगा। कांग्रेस की नई पहल और संगठन की यह रणनीति इसे चुनावी मैदान में आगे बढ़ाने में सहायक होगी। पार्टी नेताओं का मानना है कि यदि सही दिशा में काम किया जाए, तो पंजाब में कांग्रेस का प्रभाव पुनः स्थापित हो सकता है। इस प्रकार, जहां एक ओर अन्य पार्टियों ने भी अपनी तैयारी तेज कर दी है, वहीं कांग्रेस ने अपने संगठनात्मक ढांचे और युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है, जो आने वाले चुनावों में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।