जॉर्जिया में युवक की संदिग्ध मौत: लाश लाने के लिए परिवार के पास पैसे नहीं!

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जॉर्जिया के गुडौरी स्थित एक रेस्तरां में एक दुखद घटना में 12 लोगों की जान चली गई, जिनमें 11 भारतीय नागरिक शामिल हैं। इन मृतकों में हरविंदर सिंह, जो कि हरियाणा के मानसा जिले के खोखर खुर्द का निवासी था, भी शामिल हैं। मात्र 27 वर्ष की उम्र में उनके धुएं के कारण मृत्यु होने की सूचना परिवार को दी गई थी। उल्लेखनीय है कि ये सभी लोग रेस्तरां के दूसरी मंजिल पर एक कमरे में सो रहे थे जब यह त्रासदी घटी। उनके परिवार के सदस्यों ने सरकार से अपील की है कि जल्द से जल्द हरविंदर के शव को भारत लौटाया जाए।

हरविंदर सिंह को करीब 3 महीने पहले रोजगार के लिए जॉर्जिया भेजा गया था, ताकि वह अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधार सकें। उनके पिता, भगवान सिंह, ने बताया कि वह 9 एकड़ खेत के मालिक हैं, किंतु उनकी जमीन की उपजाऊ शक्ति कम होने के कारण फसल अच्छी नहीं हो पाती। भगवान ने कहा कि उन्होंने अपने बेटे को विदेश भेजने का निर्णय इसीलिए लिया ताकि वह अपनी बेटी की शादी कर सकें और कर्ज का बोझ कम कर सकें।

बीते दिनों, भगवान सिंह को जॉर्जिया से एक डॉक्टर का फोन आया, जिसने उन्हें बताया कि उनके बेटे की मौत गैस के कारण हुई है। इस बात को सुनकर पूरा परिवार गहरे सदमे में है। भगवान ने कहा कि इस नाजुक समय में उनके पास बेटे के शव को भारत लाने के लिए आवश्यक धनराशि नहीं है, और उन्होंने सरकारी सहायता की मांग की है। वे चाहते हैं कि उनके बेटे का शव जल्द से जल्द वतन लौट आए, ताकि वे अंतिम विदाई दे सकें।

हरविंदर के चाचा ने बताया कि इस समय उनका पूरा परिवार दुखी और सदमे में है। उनका कहना है कि इस घटना ने परिवार के सदस्यों को मानसिक रूप से तोड़ दिया है। हरविंदर की आकस्मिक मृत्यु ने न केवल उसके परिवार को, बल्कि पूरे गांव में शोक का माहौल पैदा कर दिया है। ऐसे समय में सरकार की मदद की आवश्यकता महसूस की जा रही है ताकि वे अपने प्रिय के अंतिम संस्कार को सही तरीके से कर सकें और दुखभरे इस समय में एक दूसरे का सहारा बन सकें।

इस घटना ने न केवल परिवार के सदस्यों को प्रभावित किया है, बल्कि यह अप्रवासी भारतीयों के लिए भी एक चेतावनी का कार्य करती है। विदेशों में जाकर काम करना कई लोगों का सपना होता है, लेकिन सुरक्षा और स्वास्थ्य जोखिमों से भी अवगत रहना अत्यंत आवश्यक है। जॉर्जिया में हुई यह दुखद घटना इस बात की याद दिलाती है कि कभी-कभी आर्थिक सुधार के लिए उठाए गए कदम भी भयंकर परिणाम का कारण बन सकते हैं।