केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान के बाद लुधियाना में कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। जगराओं की सड़कों पर उतरकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अमित शाह के इस्तीफे की मांग उठाई। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। इस संबंध में कांग्रेसी नेताओं ने तहसीलदार सुरिंदर कुमार पब्बी को एक मांग पत्र भी सौंपा। प्रदर्शन में शामिल पूर्व विधायक जगतार सिंह जग्गा, कौंसिल प्रधान जतिंदरपाल राना और पार्षद रविंदरपाल सिंह राजू कामरेड ने कहा कि भाजपा सरकार देश को संघ के सिद्धांतों के अनुसार चलाने की कोशिश कर रही है, जबकि देश को डॉ. अंबेडकर के लिखे संविधान के अनुसार ही चलना चाहिए।
प्रदर्शन के दौरान कांग्रेसी नेताओं ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए आरोप लगाया कि भाजपा न केवल डॉ. अंबेडकर के विचारों का अपमान कर रही है, बल्कि आरक्षण को समाप्त करने और संविधान में संशोधन करने की कोशिश भी कर रही है। कांग्रेस नेताओं ने दृढ़ता से कहा कि देश की जनता इस प्रकार के प्रयासों को कभी भी स्वीकार नहीं करेगी। इस घटना से ड्रामा और भी बढ़ गया जब अमित शाह ने संसद में यह बयान दिया कि “बार-बार डॉ. अंबेडकर का नाम लेने को फैशन चल पड़ा है। अगर इतना नाम भगवान का लिया होता तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।”
कांग्रेस ने इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए इसे डॉ. अंबेडकर और उनके आदर्शों का अपमान करने वाला करार दिया। पार्टी ने अमित शाह से न केवल माफी मांगने की, बल्कि उनके इस्तीफे की भी मांग की। प्रदर्शन में शामिल कांग्रेस के पूर्व चेयरमैन मंडी बोर्ड काका गरेवाल, पार्षद रमेश कुमार मेषी, और पार्षद विक्रम जस्सी सहित कई कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता उपस्थित थे। उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों ने इस मामले को और संगीन बना दिया है और अब यह चर्चा का विषय बन गया है।
इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है, और कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह अंबेडकर के विचारों का अपमान कर रही है। इस पूरी घटना ने समाज में चर्चा को जन्म दे दिया है, और कई लोग इस तथ्य की ओर इशारा कर रहे हैं कि डॉ. अंबेडकर का योगदान भारतीय समाज के लिए कितना महत्वपूर्ण है। कांग्रेस का यह प्रदर्शनी न केवल एक राजनीतिक प्रतिक्रिया है, बल्कि यह देश के संविधान और उसके आधारभूत सिद्धांतों की रक्षा का भी प्रतीक है।
इन सबके बीच, यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा और कांग्रेस के बीच का यह टकराव एक नए राजनीतिक विवाद की ओर बढ़ रहा है, जो आने वाले दिनों में और भी तात्कालिकता हासिल कर सकता है। राजनीति में इस तरह की बयानबाजी और प्रतिक्रियाएं सामान्य हैं, लेकिन जब मुद्दा संविधान और उसके निर्माणकर्ता का आता है, तो यह और भी संवेदनशीलता से भरा होता है। आने वाले समय में इस विषय पर राजनीतिक वार्ताएं और भी गहरी होती जाएंगी।