पंजाब की जालंधर लोकसभा सीट के सांसद चरणजीत सिंह चन्नी आज कांग्रेस भवन पहुंचे, जहां उन्होंने पंजाब सरकार की ‘रंगला पंजाब’ और ‘नशा मुक्त पंजाब’ अभियानों पर अपने विचार साझा किए। चन्नी ने बताया कि पिछले वर्ष पंजाब में लगभग 11,000 किसानों ने आत्महत्या की है, जिससे किसान समुदाय की गंभीर स्थिति का पता चलता है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वे किसानों को धरनों पर बैठने के लिए मजबूर कर रहे हैं और उन्हें इस बात की कोई चिंता नहीं है कि डल्लेवाल साहिब के किसानों का स्वास्थ्य कैसा है।
चन्नी ने डल्लेवाल साहिब के किसानों से अपील की कि वे अपनी जान को खतरे में डालने के बजाय अपनी ताकत का इस्तेमाल करें और भूख हड़ताल को समाप्त करें। उनका कहना था कि किसानों को ऐसे लोगों के कारण अपनी सेहत खराब नहीं करनी चाहिए। उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री को भी किसानों से संवाद करने का सुझाव दिया, यह कहते हुए कि हरियाणा के सीएम ने हाल ही में पंजाब के सीएम से अपील की थी कि वे किसानों के मुद्दे को हल करने के लिए बातचीत करें। चन्नी ने यह भी दावा किया कि हरियाणा की सीमा पर किसानों को रोका गया था, और हरियाणा के सीएम को स्वयं किसानों से बातचीत करने की कोशिश करनी चाहिए थी, लेकिन वे केवल नफरत की राजनीति कर रहे हैं।
इसके अलावा, चन्नी ने चुनाव की तैयारी को लेकर भी गंभीर चिंताएं उठाई। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार के दबाव के चलते जिला प्रशासन द्वारा अभी तक वोटरों की सूची प्रदान नहीं की गई है, जिससे उनके नेताओं को नामांकन भरने में कठिनाई हो रही है। यह बेहद चौंकाने वाला है कि चुनावी प्रक्रिया में छेड़छाड़ की जा रही है। चन्नी ने इस स्थिति की निंदा करते हुए बताया कि सरकार चुनाव को लूटने का प्रयास कर रही है, जबकि सही तरीके से चुनाव कराने की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है।
चरणजीत सिंह चन्नी ने इस संघर्ष में किसानों को संगठित होने और अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि किसान केवल आवाज उठाने में नहीं बल्कि अपने हक के लिए सचेत रूप से संघर्ष करने में भी सफल हो सकते हैं। उनका उद्देश्य किसानों को यह समझाना है कि वे अपने हितों की रक्षा के लिए संगठित रहें और सरकार की नीतियों के खिलाफ एकजुटता से खड़े हों।
चन्नी की यह प्रतिक्रिया न केवल किसानों के हालात को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे राजनीतिक मुद्दों को सुलझाने के लिए संवाद की आवश्यकता है। उनकी अपील और चिंताएं पंजाब के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, और यह निश्चित रूप से यह दर्शाती हैं कि कृषि संकट केवल एक क्षेत्र का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के लिए चिंता का विषय है।