गुरदासपुर में डाकघर घोटाला: सीनियर सिटीजनों से 5 लाख की ठगी, दो महिलाएं अरेस्ट!

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पंजाब के गुरुदासपुर जिले में एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें डाकघर के चार एजेंटों को तीन-तीन साल की कैद की सजा सुनाई गई है। इस मामले में शामिल दोषियों में दो महिलाएं भी शामिल हैं। धारीवाल डाकघर के एजेंट रमेश कुमार और उसकी पत्नी सीमा रानी, साथ ही बलविंदर कुमार उर्फ बलविंदर राय महाजन एवं उसकी पत्नी निर्मला महाजन को इस धोखाधड़ी के लिए अदालत ने सजा दी है। मामले की जांच में यह पता चला कि इन एजेंटों ने एफडी और आरडी के नाम पर लोगों से बड़ी रकम ठगी की थी।

ये एजेंट पीड़ितों से अधिक पैसे लेकर उनके नाम पर कम रकम की एफडी और आरडी खोला करते थे। इसके बाद वे ग्राहकों की पासबुक में खुद एंट्री कर देते थे। जब कुछ खाताधारक, जिन्हें पैसे की आवश्यकता पड़ी, डाकघर गए और अपना पैसा निकालने की कोशिश की, तब इस धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ। परिणामस्वरूप, पीड़ितों ने दिसंबर 2016 में धारीवाल थाने में इस धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि धोखाधड़ी के शिकार हुए अधिकांश लोग वरिष्ठ नागरिक और पेंशनर्स थे।

एक विशेष मामले में, तृप्ता देवी ने आरोप लगाया कि उनके पासबुक में केवल 5,000 रुपये की एफडी दिखाकर, एजेंटों ने उनके साथ धोखाधड़ी की थी। उन्होंने 14 नवंबर 2015 को रमेश और सीमा से 5 लाख रुपये का चेक एफडी के लिए दिया था, लेकिन जब दिसंबर 2016 में उन्होंने पैसे निकालने की कोशिश की, तो पता चला कि उनकी पासबुक में केवल 5,000 रुपये की एफडी दर्ज थी। इसी तरह, दूसरे एडजेंट बलविंदर कुमार ने बचन लाल नामक व्यक्ति से 7 लाख रुपये लिए थे लेकिन असल में उन्होंने केवल 200 रुपये की तीन एफडी और एक आरडी खोली थी।

अंततः पुलिस ने 12 दिसंबर 2016 को इन सभी आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी संबंधी विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। इस मामले के दौरान न्यायालय में दो प्रमुख शिकायतकर्ताओं सहित 19 अन्य संबंधित व्यक्तियों की गवाही भी ली गई। न्यायाधीश जगइंद्र सिंह की कोर्ट ने चारों दोषियों को तीन-तीन साल की सजा तथा प्रत्येक को 9,000 रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया है। यह फैसला इस बात का सु證 है कि कानून किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी को सहन नहीं करता और दोषियों को उनके अपराधों के लिए जिम्मेदार ठहराता है।

यह मामला पंजाब में वित्तीय धोखाधड़ी के खिलाफ चल रही एक बड़ी मुहिम का हिस्सा है, जिसमें सरकार और न्यायालय इस प्रकार के अपराधों को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं। यह निर्णय न केवल पीड़ितों को न्याय दिलाने का प्रयास है, बल्कि यह अन्य संभावित आरोपियों के लिए एक चेतावनी भी है कि धोखाधड़ी करना आसान नहीं है और इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं।