फरीदकोट जिला पुलिस ने एक गंभीर मामले में दिल्ली के सामाजिक कार्यकर्ता और वकील विभोर आनंद के खिलाफ कार्रवाई की है। उन्हें आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की एक पुरानी वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल करने के आरोप में विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस वीडियो में संविधान लिखे जाने को लेकर अभद्र टिप्पणी की गई है, जो कि समाज के एक महत्वपूर्ण वर्ग, विशेषकर दलित समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली मानी जा रही है। इसके चलते, आईपीसी और एससी/एसटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई है।
पुलिस द्वारा प्राप्त सूचना के अनुसार, फरीदकोट के थाना सादिक और थाना सिटी कोटकपूरा में विभोर आनंद के खिलाफ दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं। आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर वीडियो को एडिट करके उसे सोशल मीडिया पर फैलाया, जिससे दलित भाईचारे की भावनाएं आहत हुईं। वीडियो में केजरीवाल संविधान के निर्माण पर बात कर रहे थे, जिसे गलत ढंग से पेश किया गया है। फरीदकोट पुलिस ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की है, ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
विभोर आनंद का यह पहला मामला नहीं है, बल्कि इससे पहले भी उन्होंने सोशल मीडिया पर कई विवादित पोस्ट साझा किए थे। उनके वायरल किए गए हालिया वीडियो से संबंधित मामले में, केवल फरीदकोट ही नहीं, बल्कि पंजाब के विभिन्न जिलों में भी उनके खिलाफ शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। यह संकेत करता है कि उनका सोशल मीडिया पर आचरण विवादास्पद रहा है, जिसके तहत उन्हें बार-बार पुलिस की कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है।
इस मामले के संदर्भ में जानकार बताते हैं कि सोशल मीडिया पर वीडियो के संप्रेशन की प्रक्रिया में, अनेक बार तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है, जो कि किसी समुदाय की भावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, इस प्रकार की गतिविधियों के खिलाफ सख्त कानूनों की आवश्यकता बनी रहती है। ऐसे मामलों में, जहां समाज के एक वर्ग की भावनाओं को आहत किया जाता है, वहां कानून को सख्ती से लागू करना आवश्यक है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
विभोर आनंद की कार्यशैली और उनके द्वारा किए गए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं। यह देखा जाना बाकी है कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और क्या विभोर आनंद इस बार अपने कार्यों के लिए दंडित किए जाते हैं। यदि ऐसा होता है, तो यह अन्य सक्रिय कार्यकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है, जो समाज पर प्रभाव डालने वाली सामग्रियों को साझा करने में सावधानी बरतें।