चंडीगढ़ के पेशेवर ग्रुप इंस्टीट्यूट (पीजीआई) में शीतकालीन अवकाश की शुरुआत 7 दिसंबर से होने जा रही है, जो 6 जनवरी तक जारी रहेगा। इस अवधि के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता बनाए रखने के लिए डॉक्टर्स की ड्यूटी हर दिन दो शिफ्टों में आवंटित की गई है। इसमें से आधे डॉक्टर 21 दिसंबर तक छुट्टी पर रहेंगे, जबकि शेष डॉक्टर 6 जनवरी तक कार्य से अनुपस्थित रहेंगे। पीजीआई प्रशासन ने सभी विभागों के प्रमुखों को निर्देशित किया है कि वे सुनिश्चित करें कि विभागों में आवश्यक स्टाफ की उपस्थिति बनी रहे, ताकि मरीजों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
महत्वपूर्णतः, पीजीआई प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि छुट्टियों के दौरान इमरजेंसी सेवाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसका मतलब है कि इमरजेंसी मरीजों को तुरंत चिकित्सा सहायता मिलेगी, जिससे उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि हर साल की तरह, छुट्टियों के दौरान आउटडोर पेशंट विभाग (ओपीडी) और सर्जरी सेवाओं में मरीजों को देरी की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। सर्दियों के चलते ओपीडी और सर्जरी सेवाओं में मरीजों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना है, जिसकी वजह से सर्जरी के लिए मरीजों की वेटिंग लिस्ट और लंबी हो सकती है।
छुट्टियों का यह कार्यक्रम दो चरणों में निर्धारित किया गया है। पहले चरण में 7 से 21 दिसंबर तक और दूसरे चरण में 23 दिसंबर से 6 जनवरी तक डॉक्टरों की छुट्टियों का आयोजन किया जाएगा। प्रत्येक विभाग में 50% डॉक्टर अपनी छुट्टियों पर रहेंगे। इस दौरान जूनियर और सीनियर रेजिडेंट्स ओपीडी का कार्यभार संभालेंगे। उल्लेखनीय है कि पीजीआई साल में दो बार, गर्मियों में एक महीने और सर्दियों में 15 दिन की छुट्टियां प्रदान करता है।
पीजीआई में हर दिन लगभग 10,000 मरीज इलाज के लिए आते हैं, जिनमें से 60% मरीज हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, और जम्मू जैसे अन्य राज्यों से होते हैं, जबकि 40% मरीज त्रिसिटी के होते हैं। रजिस्ट्रेशन और चिकित्सा सेवा के लिए मरीजों को लंबी कतारों में खड़े होना पड़ता है। इसलिए, छुट्टियों के दौरान इन समस्याओं के और बढ़ने की संभावना नजर आ रही है, जिससे मरीजों को अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य प्रशासन की यह अपेक्षा है कि उचित प्रबंधन और चिकित्सा सेवाओं की निरंतरता के साथ इन समस्याओं का सामना किया जा सके। मरीजों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उपाय किए जाएंगे, ताकि उन्हें उत्तम चिकित्सा सेवा प्रदान की जा सके।