किसानों की मांग: केंद्र सरकार से राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति की वापसी का दबाव!

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**अमृतसर में किसान नेताओं का प्रदर्शन: केंद्र सरकार से की गई मांगें**

हाल ही में अमृतसर में संयुक्त किसान मोर्चा ने एक राष्ट्रव्यापी आह्वान के तहत किसानों का एक बड़ा प्रदर्शन आयोजित किया। इस धरने का आयोजन डीसी दफ्तर के बाहर किया गया, जिसमें किसानों ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवाज उठाई। उपस्थित किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर दबाव बनाने, राष्ट्रीय कृषि विपणन नीति को वापस लेने, तथा किसानों के खिलाफ हो रही जबरदस्ती को समाप्त करने की मांग की। इसके अलावा, उन्होंने केंद्र सरकार से 9 दिसंबर 2021 के समझौते के अनुसार सभी लंबित मुद्दों का शीघ्र समाधान करने की अपील की।

इस धरने में विभिन्न किसान संगठनों के प्रमुख नेता शामिल हुए, जिनमें कश्मीर सिंह धनगाई, कुलवंत सिंह मल्लूनांगल, एवं सुखदेव सिंह सैसरा जैसे नामी नेता शामिल थे। इसके साथ ही, डॉ. सतनाम सिंह अजनाला, डॉ. परमिंदर सिंह, जतिंदर सिंह छीना, और सुच्चा सिंह अजनाला जैसे कई अन्य वरिष्ठ नेता इस प्रदर्शन का हिस्सा बने। इन नेताओं ने केंद्र सरकार से यह आग्रह किया कि किसान संगठनों की मांगों के निपटारे के लिए वे तुरंत कदम उठाएं।

किसान नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार को किसानों, मजदूरों और आम जनता के खिलाफ चल रही राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति को जल्द से जल्द समाप्त करना चाहिए। साथ ही, उन्होंने पंजाब सरकार से भी अपील की कि वह इस मुद्दे पर विशेष सत्र बुलाकर चर्चा करे। प्रदर्शन में उपस्थित नेताओं ने जोर देकर कहा कि यह नीति किसानों और मजदूरों के हितों के खिलाफ है, और इसे रद्द किया जाना चाहिए।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने धरने के दौरान केंद्र सरकार को कड़े शब्दों में चेतावनी दी कि वे 9 दिसंबर 2021 के समझौते के तहत बाकी बचे मुद्दों को प्राथमिकता के आधार पर हल करें। इस प्रदर्शन का संचालन सुच्चा सिंह अजनाला ने किया, जिन्होंने धरने में शामिल हजारों किसानों और खेत मजदूरों का आभार जताया। यह प्रदर्शन दिखाता है कि किसानों की एकजुटता और उनके अधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता कितनी गहरी है।

कुल मिलाकर, यह धरना किसानों की समस्याओं को उजागर करने और उन्हें समाधान दिलाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। किसान समुदाय ने एक बार फिर से स्पष्ट किया है कि वे अपनी मांगों के लिए एकजुट हैं और किसी भी प्रकार के सामाजिक एवं आर्थिक अन्याय को सहन नहीं करेंगे। किसानों की ये आवाजें न केवल अमृतसर में गूंज रही हैं, बल्कि यह आंदोलन पूरे देश में किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत भी है।