पंजाब में निकाय चुनावों की घोषणा के साथ ही राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। विभिन्न पार्टियों पर टिकटों के लिए पैसे लेने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन करते हुए अपनी नाराज़गी व्यक्त की है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिन्होंने पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की है, उन्हें टिकट नहीं दिया गया जबकि अनजान लोगों को पैसे के बल पर नामांकित किया गया है। यह प्रदर्शन आम आदमी पार्टी के अमृतसर स्थित कार्यालय के बाहर भंडारी पुल पर हुआ, जहाँ कार्यकर्ताओं ने “वर्कर एकता जिंदाबाद” के नारे लगाते हुए अपनी आवाज़ उठाई।
आप के एससी विंग के राज्य सचिव रोहित कुमार ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि वह पिछले चार वर्षों से पार्टी के साथ जुड़े हैं और विभिन्न राज्यों में पार्टी के कामों में लाखों रुपये खर्च किए हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी का हमेशा यह रुख रहा है कि वह नशे के खिलाफ है, फिर भी आज नशे के व्यापारियों को ही टिकट दी गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि 25-25 लाख रुपये में टिकटों का वितरण किया जा रहा है और जिस उम्मीदवार को टिकट दिया गया है, वह पूर्व कांग्रेस विधायक इंदरबीर सिंह बुलारिया का करीबी था।
अधिकतर कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में कहा कि आप में संगठन की कोई अहमियत नहीं रह गई है। सिर्फ गुणवत्ताहीन सिफारिशों पर टिकट बांटे जा रहे हैं। एक सदस्य ने कहा कि पार्टी के अंदर कोई लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं रह गई है और बाहरी उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जा रही है। यह स्थिति अन्य राजनीतिक दलों की तरह सामने आ रही है, जहाँ पार्टी के मूल वॉलंटियर्स को नजरअंदाज़ किया जा रहा है। कार्यकर्ताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि वे बाहरी उम्मीदवारों को जीतने नहीं देंगे और पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ता जा रहा है।
आप में चल रहे इस कथित टिकट वितरण विवाद ने कार्यकर्ताओ के बीच निराशा की लहर पैदा कर दी है। पार्टी की आंतरिक एकता कमज़ोर होती दिख रही है, और कार्यकर्ता अपने संघर्षों का सीधा परिणाम समझते हुए अपनी आवाज़ को उठाने के लिए मजबूर हैं। यदि पार्टी इस मुद्दे पर जल्दी कार्रवाई नहीं करती है तो आगामी चुनावों में इसका असर पार्टी की स्थिति पर गंभीर हो सकता है। कार्यकर्ताओं की मांग है कि पार्टी को उन मेहनती उम्मीदवारों को स्थान देना चाहिए जिन्होंने पार्टी को अपनी निष्ठा दिखाई है, न कि उन लोगों को जो केवल पैसे पर निर्भर हैं।
इस संदर्भ में आम आदमी पार्टी को अपनी नीति और नेतृत्व के प्रति गंभीरता से विचार करना होगा, नहीं तो उन्हें अपने जोशिले कार्यकर्ताओं को खोने का खतरा उत्पन्न हो सकता है। यदि यह स्थिति जारी रहती है, तो पार्टी के लिए अपनी पहचान और आम जन के साथ जुड़ाव बनाए रखना बेहद मुश्किल हो जाएगा।