अबोहर में असामान्य बर्फबारी से सरसों-आलू की फसलों को खतरा!

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पंजाब के शहरों में पहाड़ों की बर्फबारी का प्रभाव देखने को मिल रहा है। पिछले कुछ दिनों से अबोहर और उसके आस-पास के इलाकों में घने कोहरे ने अपना दखल दे दिया है, जिससे कृषि पर नकारात्‍मक प्रभाव पड़ने की आशंकाएं बढ़ गई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में, खासकर सुबह के समय, जमीन कोहरे की चादर से ढकी हुई दिखाई देती है। इस बारे में जानकारी देते हुए गांव ताजा पटी के किसान छिंदर पाल ने कहा कि इस कड़ाके की सर्दी में फसलों पर बर्फ जमने के साथ-साथ हमें ठंड से भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

किसान छिंदर पाल ने बताया कि सरसों और आलू की फसलों पर सबसे बुरा असर पड़ सकता है। अगर आगे आने वाले दिनों में ठंड की स्थिति में सुधार नहीं होता, तो गेहूं की फसल भी संकट में पड़ सकती है। ऐसे मौसम में फसलें उचित वृद्धि नहीं कर पाती हैं, जिसके कारण किसान चिंता में हैं। इसी संदर्भ में गांव सादुलशहर के किसान शिव प्रकाश ने भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों से सादुलशहर और संगरिया क्षेत्र में कड़ाके की ठंड और घने कोहरे का प्रभाव देखा जा रहा है। इससे न केवल फसलोत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ा है, बल्कि यह सर्दी बच्चों और बुजुर्गों में बिमारी भी फैला रही है।

वर्तमान मौसम में, किसानों का ध्यान गेहूं की बढ़वार पर भी है। कोहरे के कारण फसलों की वृद्धि रुक गई है, जिसके चलते फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है। वहीं, सुबह के समय कारों की छतों पर बर्फ जमी हुई देखी जा सकती है। ऐसे में किसान बार-बार मौसम के सुधार की कामना कर रहे हैं ताकि उनकी मेहनत का फल सुरक्षित रह सके। चने और सरसों की फसलें भी इस ठंड से प्रभावित हो रही हैं, जिससे किसानों को संकट का सामना करना पड़ रहा है।

किसानों की ये गंभीर चिंताएं न केवल उनकी फसल उत्पादन से जुड़ी हुई हैं, बल्कि उनके जीवनयापन पर भी भारी पड़ सकती हैं। ऐसे दौर में जब मौसम की मार से अधिकांश कृषि उत्पाद प्रभावित हो रहे हैं, प्रदेश सरकार को चाहिए कि वो शीघ्र ही किसी प्रकार की निगरानी और सहायता की योजना बनाए। ताकि किसानों को राहत मिले और उनकी मेहनत को वजूद में लाना संभव हो सके। मौसम की इस की स्थिति से उबरने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, अन्यथा कृषि पर इसका लंबे समय तक असर पड़ सकता है।